वक्फ़ संशोधन बिल गुरुवार को राज्य सभा में पेश किए जाने के बाद चर्चा जारी है. बुधवार को यह बिल लोकसभा से पास हो गया है. बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े. बुधवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने ये संशोधन बिल पेश किया था.
लोकसभा में विधेयक पर 12 घंटे से अधिक समय तक गहन चर्चा हुई, जो बुधवार दोपहर से शुरू होकर गुरुवार तड़के तक जारी रही. राज्य सभा में भी विपक्षी दलों के नेता बिल के विरोध में जोरदारबहस कर रहे हैं.
इससे पहले बिल के लोकसभा में पेश होने के बाद बुधवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार और तीखी बहस हुई. कांग्रेस, एसपी, टीएमसी, जेएमएम समेत इंडिया गठबंधन के दलों इस बिल का विरोध किया.
वहीं बीजेपी के सहयोगी दलों जेडीयू और टीडीपी ने इस बिल का समर्थन किया. सरकार 1995 में बने वक़्फ़ बिल में संशोधन कर कई नए प्रावधान जोड़ने जा रही है.
क्या होंगे नये प्रावधान
संशोधन के बाद सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल और वक्फ़ बोर्डों में दो ग़ैर-मुस्लिम सदस्य शामिल हो जाएंगे. इसके अलावा वही व्यक्ति वक़्फ़ को दान दे पाएगा जो कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो. वक्फ़ के पास जो सरकारी ज़मीन है उसकी मल्कियत स्थानीय कलेक्टर तय करेगा.
इससे पहले वक़्फ़ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार मस्जिदों के प्रबंधन या धार्मिक क्रियाकलापों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी.
वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पिछले साल अगस्त में पेश किया था, जिसके बाद इसे ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी को भेज दिया गया था.कई दौरों की बातचीत के बाद इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.
अमित शाह और अखिलेश के बीच बहस
बुधवार दोपहर को बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री अमित शाह और समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव के बीच बहस भी देखने को मिली.
अखिलेश यादव ने बीजेपी के अध्यक्ष के चुनाव का मुद्दा उठाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की.
अखिलेश यादव ने कहा, “जो पार्टी यह कहती हो कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, वह अभी तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाई है. भारतीय जनता पार्टी क्या है?”
इस दौरान अमित शाह मुस्कुराते हुए दिखे और इसी अंदाज़ में उन्होंने जवाब देते हुए कहा, “अखिलेश जी ने हंसते-हंसते कहा है, मैं इसका हंसते-हंसते जवाब दूंगा. ये सामने जितनी भी पार्टिया हैं. उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके परिवार के पांच लोगों को ही चुनना है. हमें करोड़ों सदस्यों में से चुनना है. आपके यहां ज़रा भी देर नहीं लगेगी. मैं कहता हूं कि आप (अखिलेश) 25 साल तक के लिए अध्यक्ष हो जाओ.”