वक़्फ़ संशोधन बिल पास राज्यसभा में भी पास हो गया है. गुरुवार की देर रात तक इस बिल पर चर्चा चली. इसके समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े.
इस बिल का नाम- यूनाइटेड वक़्फ़ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफ़िशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट1995 है.
विपक्षी दलों ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताया था, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे मुस्लिमों के लिए फ़ायदेमंद बताया.
इससे पहले, गुरुवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक़्फ़ संशोधन विधेयक पेश किया था.
लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक के पक्ष में 288 जबकि विरोध में 232 वोट पड़े थे. संसद के दोनों सदनों से पास विधेयक अब हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा जाएगा.
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही विधेयक, कानून बन जाएगा और मौजूदा वक्फ कानून में संशोधन की लंबे समय से जारी प्रतीक्षा खत्म हो जाएगी.
वक्फ बिल को लेकर एक तरफ सरकार इसे गरीब मुसलमानों का हक लौटाने की गारंटी बता रही है, तो विपक्ष इसे मुस्लिम पहचान और अधिकारों पर हमला करार दे रहा है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा में शामिल होते हुए कहा, “हमने हमारा पक्ष उनके सामने रखा. वो इसे नहीं मान रहे हैं. इसका मतलब यह है कि उन्होंने (वक़्फ़ संशोधन बिल पर) पहले से नकारात्मक स्टैंड लिया हुआ है, जिसे वो आगे बढ़ा रहे हैं.”
विपक्षी दलों ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताया था, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे मुस्लिमों के लिए फ़ायदेमंद बताया.
किरेन रिजिबू ने कहा था, “जब हम ये वक़्फ़ (संशोधन) बिल लेकर आए, उससे पहले हमारे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने व्यापक रूप से देश भर में जितने स्टेकहोल्डर्स हैं, सबसे बातचीत करने के बाद, ये बिल तैयार करके हमने सदन में पेश किया.”
यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर और पारदर्शी बनाने का दावा करता है। इसके जरिए वक्फ बोर्डों और स्थानीय निकायों के बीच बेहतर समन्वय की बात कही गई है.
विधेयक का मकसद है कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जाए, और उनका इस्तेमाल सामाजिक कल्याण के लिए हो.