रांचीः झारखंड में गोड्डा जिले के कमलडोरी पहाड़ के पास पुलिस मुठभेड़ में मारे गए सूर्या हांसदा के शव को मंगलवार को उनके पैतृक गांव डकैता में दफनाया गया. लेकिन सूर्या की देवघर के मोहनपुर स्थित नवाडीह गांव से गिरफ्तारी और फिर कमलडोरी पहाड़ के पास हुई मुठभेड़ को लेकर अब भी कुछ सवाल जिंदा हैं.
सवाल ये भी उठाये जा रहे हैं कि संघर्ष करते-करते रास्ता भटक जाने वालों को भारत के क़ानून और न्याय व्यवस्था ने हमेशा मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर दिया है।
इन सवालों के साथ मुख्य विपक्षी दल बीजेपी इसे बर्बरतापूर्ण कार्रवाई बता रही है. अलबत्ता पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह एनकाउंटर नहीं मर्डर है।
बाबूलाल मरांडी से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडास, झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख और डुमरी से विधायक जयराम कुमार महतो ने भी उस मुठेभेड़ पर सवाल खड़े किए हैं.
इन प्रमुख नेताओं ने क्या कुछ कहा है, उसे आगे बताते हैं, जानकारी इसकी भी देंगे कि सूर्या की कमाई कितनी थी और उन्होंने संपत्ति कितनी गढ़ी. उन पर कौन से केस दर्ज थे.
उससे पहले इन्हीं सवालों को लेकर गुरुवार को सूर्या हांसदा की मां नीलमनी मुर्मू और पत्नी सुशीला मुर्मू रांची पहुंची। उन्होंने मीडिया से बातें की। और आरोप लगाया कि पुलिस ने पकड़कर सूर्या को बेरहमी से मार दिया। पुलिस की थ्योरी को मानने से साफ इनकार के साथ उन्होंने तर्क भी दिए।
सूर्या की मां और पत्नी की मांग है कि इस मुठभेड़ की सीबीआई जांच कराई जाए. वे सीबीआई जांच की फरियाद लेकर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी। मीडिया से बात करने में नीलमनी मुर्मू और सुशीला मुर्मू के साथ झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी के कई नेता भी मौजूद थे।
इस मुठभेड़ को लेकर आदिवासियों तथा कई संगठनों के बीच से सोशल मीडिया पर प्रतिकारियों का दौर जारी है. दरअसल, राजनीतिक पार्टियां सूर्या को एक प्रभावी चेहरा के तौर पर देखती थी. उन्हें 45-50 हजार तक वोट मिलते रहे हैं. हालांकि वे कभी जीते नहीं. सूर्या हांसदा की मां भी जिल परिषद की सदस्य रही हैं, जाहिर तौर पर जिस सूर्या हांसदा की छवि कुख्यात अपराधी के तौर पर गढ़ी गयी, वह आदिवासियों के बीच खासी पहचान भी रखता था.

गोड्डा के एसपी ने क्या बताया
बहरहाल, गोड्डा के एसपी मुकेश कुमार ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेस में मुठभेड़ की पूरी जानकारी दी थी. इसमें उन्होंने बताया कि पुलिस मुठभेड़ में मारे गए सूर्या हांसदा के खिलाफ झारखंड के गोड्डा और साहिबगंज जिले में कुल 25 केस दर्ज थे. पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया था कि सूर्या का एक ऑर्गेनाइज्ड गैंग है, जो ट्रांसपोर्टेशन करने वाली कंपनियों से रंगदारी के तौर पर पैसे की वसूली और रंगदारी की मांग करते हैं.
पुलिस अधिकारी के मुताबिक सूर्या हांसदा के ऊपर बीते 28 मई को गोड्डा जिले के ही ललमटिया खदान क्षेत्र में फायरिंग कर दहशत फैलाने का कांड 44 आब्लिग 25 दर्ज था. इसी मामले उसकी गिरफ्तारी के लिए एक एसआईटी गठित की गई थी। रविवार को इसकी सूचना मिली थी कि सूर्या देवघर में कहीं पहुंचा है.

10 अगस्त को पुलिस ने उसे देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड के नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को बताया कि वह कुछ छिपाये हथियार बरामद करा सकता है. उसकी निशानदेही पर हथियार बरामदगी के लिए पुलिस उसे रात में बोआराजोर थाना अंतर्गत रहड़बड़िया पहाड़ ले जा रही थी. तब उसके कुछ साथियों ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस का दावा है कि समय हांसदा ने पुलिस से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की.
करीब आधे घंटे तक चली मुठभेड़ और फायरिंग शांत होने के बाद सर्च अभियान चलाया गया, तो सूर्या का शव मिला. घटना स्थल से कई हथियार, खोखे और गोलियां बरामद की गई.
पुलिस की थ्योरी पर भरोसा नहीं
पुलिस के तमाम दावे, थ्योरी और सूर्या के आपराधिक रिकॉर्ड के बीच सवाल ये उठाये जा रहे हैं कि हथियारों की बरामदगी के लिए रात में पहाड़ी पर सूर्या को लेकर जाना क्या उचित था. वहां जो अपराधी छिपे थे, सभी भाग निकलने में सफल रहे. और सूर्या ही मारा गया.
सूर्या के परिजनों का यह भी आरोप है कि सरकार में ऊंची पहुंच रखने वाला जेएमएम नेता पंकज मिश्रा के कथित इशारे पर पुलिस ने एनकाउंटर किया है. सुशीला मुर्मू कहती हैं, “जो पहले से बीमार हो, सार्वजनिक जीवन में हो, वो भला कैसे पुलिस की गिरफ्त से भाग सकता था. मैंने पुलिस से कहा था कि मैं अपने पति से बात कर रही हूं, उनको सरेंडर करने को तैयार कर रही हूं. मैंने अपने पति से पूछा भी था, तो उन्होंने कहा था कि अभी तबीयत खराब है, ठीक होने पर सरेंडर कर दूंगा’’
बाबूलाल बोले, एनकाउंटर नहीं मर्डर है
पुलिस की थ्योरी से बीजेपी और जेएलकेएम के नेता भी इत्तेफाक नहीं रखते. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, आदिवासी नेता को अपराधी बनाना हो या निर्दोष को दोषी साबित करना हो, पैसे लेकर जमीन पर कब्जा कराना हो या माफियाओं को सरेआम आतंक करने की खुली छूट देना हो, अपने शक के आधार पर किसी की आवाज को दबाने के लिए इनकाउंटर करना हो या खास वर्ग को छूट देकर आदिवासियों की हत्या करना कराना हो…इन सारे कार्यों का जिम्मा झारखंड पुलिस में कुछ लोगों ने अपने कंधे पर ले लिया है।
इससे पहले सोमवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने इस घटना को लेकर सोशल मीडिया के अपने अकाउंट एक्स पर एक तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए सवाल खड़े किए थे.
अर्जुन मुंडा ने कहा है, “वक्त ने एक आदिवासी को बनाया अपराधी, लोकतंत्र ने मंच दिया, पर पुलिस ने छीन ली आखिरी सांस. आदिवासी नेता सूर्या हांसदा का एनकाउंटर कई सवाल खड़े करता है. जब वे चार बार चुनाव लड़ चुके थे, तो इसका मतलब साफ था कि वे मुख्यधारा से जुड़कर काम करना चाहते थे. लेकिन पुलिस द्वारा जिस तरह की कार्रवाई की गई है , वह कई सवाल खड़े करती है.”
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख, डुमरी से विधायक जयराम कुमार महतो ने भी सूर्या के एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं.
मंगलवार को जयराम धनबाद में मीडिया से मुखातिब थे. सूर्या हांसदा के अनकाउंटर की निंदा करते हुए बोले, जिन आदिवासियों के पूर्वजों ने झारखंड राज्य लड़कर लिया उनके लोग एनकाउंटर में मारे जा रहे हैं. अपराधी और माओवादी के नाम पर आदिवासियों का दोहन और शोषण हो रहा है.
गौरतलब है कि 2024 का विधानसभा चुनाव सूर्या झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के टिकट से ही लड़े थे. इससे पहले बीजेपी और जेवीएम से भी सूर्या चुनाव लड़ चुके थे. लेकिन कभी जीते नहीं.

सूर्या की संपत्ति और छवि
सूर्या के मारे जाने के बाद उनका दो पुराना वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वे बीते एक जून को आर्थिक नाकेबंदी के आह्वान के साथ आदिवासी सवालों, मुद्दों, रोजगार, अवैध पत्थर खनन के सवाल पर कोयला, ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों को निशाने पर लेते सुनाई पड़ रहे हैं. दूसरे वीडियों में वे बच्चों को हूल विद्रोह के नायकों के बारे में बता रहे हैं.
इन सबके बीच पुलिस रिकॉर्ड में सूर्या नोटोरियस क्रिमिनल तो था, उसका संगठित गिरोह था. लेकिन संथालपरगना के गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ इलाके में पत्थरों के अवैध खनन और कारोबार पर वर्चस्व, ट्रांसपोर्टिंग के ठेके में कथित तौर पर अवैध और अफरात कमाई में हिस्सेदारी के लिए नेता, ठेकेदार, माफिया, सरकारी मुलाजिम के गठजोड़ के किस्से, कारनामे सूर्या पर दर्ज केस से ज्यादे गहरे हैं. और सूर्या की छवि तो आदिवासियों के बीच एक जुझारू युवा नेता, सामाजिक कार्यकर्ता की भी रही है.
सूर्या के ऊपर दर्ज मुकदमों, इसके कारणों के अलावा सार्वजनिक जीवन पर नजर डालें, तो लगेगा सूर्या की छवि किसी गैंगस्टर और डॉन की कतई नहीं रही होगी.
सूर्या बच्चों के लिए चांद भैरव राजा राज आवासीय विद्यालय चलाते थे, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर, अनाथ बच्चे-बच्चियों को हॉस्टल में रखकर निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी.
मंगलवार को हांसदा का शव जैसे ही उनके घर में आया, परिजन, आदिवासी समाज के लोग और बच्चे बिलखते दिखाई पड़े. इसके बाद गीत गाकर बच्चों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
2024 में विधानसभा चुनाव लड़ने के वक्त इंटरमीडिएट तक पढ़े सूर्या ने जो हलफनामा दाखिल किया है उस मुताबिक चुनाव लड़ने के वक्त सूर्या के पास नगद के तौर पर सिर्फ ढाई लाख रुपये और उसकी पत्नी के पास तीन लाख 60 हजार रुपये थे। 2024-25 में सूर्या ने चार लाख 97 हजार 870 रुपये का आयकर रिटर्न दाखिल किया है।
सूर्या के पास कुल चल- अचल संपत्ति 74 लाख की है. इसमें खेती की एक एकड़ छह डिसमील जमीन और 8400 स्कावयर फीट में बने घर की लागत भी शामिल है। उनकी पत्नी इसीएल की वर्कर हैं. लिहाजा उनकी आमदनी सूर्या से ज्यादा है. सूर्या के खिलाफ अभी सात केस लंबित हैं। कई केस में गंभीर धाराएं लगी हैं. लेकिन किसी केस में उन्हें सजा नहीं मिली.
बहरहाल, पुलिस रिकॉर्ड में अपराधी सूर्या की छवि आदिवासी समुदाय में एक छवि एक जुझारू नेता और सामाजिक कार्यकर्ता की भी रही है। इन मासूमों के रूदन का मर्म भी महसूस किया जा सकता है। शायद बच्चों के आंसुओं में वह डर भी है कि अब उन्हें कौन देखेगा, संभालेगा.