खूंटीः झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सह झालसा अध्यक्ष सुजीत नारायण प्रसाद ने आदिवासी बहुल खूंटी में अफीम की खेती के बढ़ते प्रभाव और दुष्परिणाम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इसके पीछे रैकेट है. इस रैकेट को पकड़ने की जरूरत है. डीसी और एसपी इस मामले में सख्त कदम उठाएं.
स्थानीय बिरसा कॉलेज के बहुउद्देशीय भवन में रविवार को आयोजित राज्यस्तरीय विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातों की चर्चा की.
न्यायमुर्ति सुजित नारायण प्रसाद ने कहा है कि नशा से पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है. नशा को लेकर जागरूक होने की जरूरत है. खूंटी जिले में अफीम की खेती बहुत होती है. इसके पीछे रैकेट है. आम आदमी को जानकारी नहीं है कि कौन उन्हें संचालित कर रहा है. रैकेट को पकड़ने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, अफीम की खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है. उपायुक्त और एसपी को इस पर नजर रखकर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है. जिला प्रशासन और पुलिस को एनसीबी के साथ मिलकर काम करना होगा. नशा से युवा बर्बाद हो रहे हैं. युवा ही खत्म हो जायेंगे, तो देश का क्या होगा.
डायन प्रथा पर बोलते हुए न्यायमूर्ति सह झालसा अध्यक्ष ने कहा कि खूंटी में डायन प्रथा भी प्रचलित है. किसी के टोकने-बोलने और ओझा-गुनी कर देने से किसी की जान नहीं जाती है. बीमार होने पर डॉक्टर के पास जाईये और इलाज कराईये. उन्होंने कहा कि खूंटी आदिवासी बहुल जिला है. सरकार कई योजनायें चला रही है. जिला प्रशासन उन योजनाओं का प्रचार-प्रसार करे.
परिसंपत्तियों का वितरण
राज्यस्तरीय विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर का उद्देश्य सुदूरवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों को मुख्य धारा से जोड़ना था. सभी ग्रामीणों को अपने निकटवर्ती प्रखंड कार्यालय में ही सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आसानी से प्राप्त हो सके. इस कार्यक्रम में 300 से अधिक लाभुकों के बीच 18 करोड़ 632 रुपए की परिसंपत्तियों का वितरण किया गया.