गोड्डाः झारखंड के गोड्डा में एक दंपति अपनी घायल बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 108 नंबर पर डायल कर एंबुलेंस भेजने की गुहार लगाता रहा, पर एंबुलेंस नहीं पहुंची. किसी तरह पिता ने एक निजी गाड़ी का इंतजाम कर बेटी को अस्पताल तक लाए, तब तक 13 साल की बेटी ने दम तोड़ दिया.
घटना ठाकुरगंगटी थाना क्षेत्र के मदन चौकी गांव की है. एक ग्रामीण संतोष महतो की बेटी छत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी. बच्ची तड़प रही थी, परिजन घबराए हुए थे.
संतष महतो ने 108 पर कॉल कर एंबुलेंस की मदद मांगी. इंतजार के बावजूद एंबुलेंस नहीं पहुंचा. हर बार कॉल करने पर एक ही जवाब मिल रहा था “थोड़ी देर में पहुंच रहे है”. लेकिन, थोड़ी देर के उस लंबे इंतजार में बच्ची की जान चली गयी.
पीड़ित परिवार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वारयल है. पिता फूट- फूट कर रोते दिख रहे हैं. मां पछाड़ खा रही है. गाड़ी की सीट पर बेटी की लाश पड़ी है.
पीड़ित के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि तीन घंटे से अधिक समय तक उनके द्वारा 108 सेवा पर लगातार कॉल करने के बावजूद कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हुई. सरकारी एंबुलेंस न मिलने पर उन्हें एक निजी गाड़ी किराए पर लेनी पड़ी.
खबरों के अनुसार, 13 वर्षीय लड़की अपने घर की छत पर बारिश में नहा रही थी. इसी दौरान उसका पैर फिसल गया और वह बगल के मकान की छत पर जा गिरी. गिरने से उसका पेट छत के पिलर से टकरा गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई.
परिजनों ने उसे इलाज के लिए गोड्डा सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताकर रांची स्थित रिम्स रेफर कर दिया. लेकिन अस्पताल प्रशासन घायल बच्ची को रांची ले जाने के लिए समय पर एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कर सका.
गोड्डा के सिविल सर्जन डॉ. आनंद कुमार झा का कहना है, ‘मुझे इस मामले की जानकारी कल ही मिली है. इससे पहले हमारे पास कोई पूर्व सूचना या आधिकारिक रिपोर्ट नहीं आई थी.’
उन्होंने कहा कि अस्पताल के पदाधिकारियों और एंबुलेंस सेवा से पूरी रिपोर्ट मिलने का इंतजार है.
इधर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर इस वीडियो को साझा करते हुए सरकार पर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा है, “हेमंत सरकार की घोर लापरवाही का खामियाजा गोड्डा की एक मासूम बेटी को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा. छत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हुई बच्ची के परिजन घंटों तक एंबुलेंस का इंतजार करते रहे. स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार अब सीधे जनता की जान पर भारी पड़ रही है. चाहे वह मुफ्त एंबुलेंस सेवा हो या आयुष्मान भारत योजना… स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी हर योजना को भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का अड्डा बना दिया गया है.”