Ajay Sharma
खूंटीः झारखंड में दो महिला मनरेगाकर्मियों ने आदिवासी बहुल खूंटी के एक गांव कुटाम की कायापलट कर दी है. लगन और निष्ठा से. मनरेगा की योजनाओं से गांव कैसे आगे बढ़े और ग्रामीण कैसे आत्म निर्भर हों, इन दोनों महिलाओं ने लोगों को बखूबी सिखाया. हेमंती देवी और पूनम सुंडी गुमला और चाईबासा की रहने वाली हैं, लेकिन इनका कार्यक्षेत्र है खूंटी का कुटाम.
तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की पहल पर दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के तहत अक्तूबर 2019 में इन दोनों महिलाओं की लोक प्रेरक के रूप में कुटाम में तैनाती हुई. दोनों ने गांव में किराये का घर लेकर रहना शुरू किया. ग्रामीणों को जाना, खेती- बाड़ी की समस्याओं को समझा. इसके बाद ग्रामीणों को संगठित कर उन्हें स्वावलंबी बनने की दिशा में प्रेरित करती रहीं.
चौपाल बना विकास का मंच
ग्रामीण दिन भर खेतों में काम करते थे, ऐसे में दोनों महिलाओं ने रात में चौपाल की व्यवस्था शुरू की, जहां देर रात तक ग्राम विकास पर चर्चाएं होतीं और योजनाएं बनाई जातीं. धीरे-धीरे लोगों को समझ में आया कि गांव का विकास उनके अपने हाथों में है.
जल संरक्षण और मेढ़बंदी
कोविड काल में श्रमदान के माध्यम से गांव में टीसीबी (ट्रेंच-कम-बंड) खोदने का कार्य प्रारंभ किया गया. फिर इसे मनरेगा योजना से जोड़ा गया. एक समय आया, जब पूरा गांव टीसीबी से अच्छादित हो गया, जिससे भूजल स्तर में स्थायी सुधार हुआ.
इसके साथ ही 550 एकड़ भूमि में मेढ़बंदी कर खेती की दशा सुधार दी गई. इस गांव में पेयजल और सिंचाई की समस्या काफी हद तक दूर हो गई है.
गांव की पौने दो एकड़ जमीन पर मिलिया दुबिया (जिसका उपयोग इमारती लकड़ी, प्लाईवुड, और कृषि वानिकी के लिए किया जाता है) के पौघे लगाए गए. गांव के लोगों ने स्वंय इसकी नर्सरी तैयार किया था.

मलेरिया मुक्त बना गांव
पहले जहां मलेरिया एक आम बीमारी थी, अब गांव पूरी तरह मलेरिया फ्री जोन बन चुका है. हर सप्ताह दो दिन गांव में श्रमदान कर सफाई अभियान चलाया जाता है. हर ग्रामीण उबला पानी पीता है, और गांव को पूर्णतः नशा मुक्त बना दिया गया है.
रात्रि पाठशाला से साक्षरता
कुटाम गांव में कोई भी व्यक्ति अशिक्षित नहीं है। हर परिवार चंदा देता है जिससे गांव की दो बीए पास लड़कियों को मानदेय देकर रात्रि पाठशाला चलाई जाती है. इसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शिक्षा ग्रहण करते हैं. अब ग्रामीण सरकारी स्कूल की व्यवस्था सुधारने हेतु विद्यालय प्रबंधन समिति में बदलाव की योजना बना रहे हैं.
संस्थागत प्रसव, किशोरों को संस्कार
गांव में हर गर्भवती महिला का टीकाकरण और संस्थागत प्रसव सुनिश्चित किया जाता है. साथ ही किशोर-किशोरियों को शिक्षा, पोषण और नैतिक मूल्यों से जुड़े संस्कारों की शिक्षा दी जाती है.
इन दोनों महिलाओं को वरिष्ठ बीएलएम सुनील शर्मा का लगातार मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहा, जिससे योजनाएं धरातल पर उतरीं और कुटाम गांव एक मॉडल ग्राम बनकर उभर रहा है.