रांचीः 16वें वित्त आयोग के समक्ष झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कहा है कि झारखंड बहुतायात के विरोधाभास और प्राकृतिक संसाधनों के अभिशाप का उत्कृष्ट उदाहरण है. प्राकृतिक संसाधन से पूर्ण रहने के बावजूद झारखंड अल्प आय वाला राज्य है.
उन्होंने कहा कि झारखंड का निर्माण वित्तीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों के साथ हुआ था, लेकिन झारखंड को विशेष श्रेणी का राज्य बनाने या विशेष पैकेज देने की मांग पर भारत सरकार द्वारा विचार नहीं किया गया, जो अक्सर नवसृजित राज्यों को मिलता था.
झारखंड दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के साथ राज्य सरकार की बैठक में मुख्य सचिव ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प पूरा करने के लिए सभी राज्यों को विकसित करना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि झारखंड का 30 प्रतिशत भूभाग वनों से आच्छादित है. इस कारण बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को वन एवं पर्यावरण स्वीकृति की सख्त प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इससे परियोजनाओं में विलंब होता है और उनकी लागत बढ़ जाती है. देश की कुल खनिज संपदा का 40 प्रतिशत होने का लाभ झारखंड को नहीं मिल पाता है.
स्थानीय लोगों को चुकानी पड़ती है कीमत
मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कहा कि कोयला कंपनियों पर राज्य का भूमि मुआवजा, रॉयल्टी आदि के मद में काफी बड़ी देनदारी बकाया है. राज्य को भूमि क्षरण, वायु व जल प्रदूषण, कृषि उत्पादकता, स्वास्थ्य जैसी समस्याओं के अलावा स्थानीय लोगों के विस्थापन की भी कीमत चुकानी पड़ती है. जीएसटी की वजह से उत्पादक राज्य के रूप में झारखंड को अगले पांच वर्षों में 61,677 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है.
मंईयां सम्मान योजना पर वित्तीय भार
झारखंड की मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य की 39 प्रतिशत आबादी एसटी, एससी और आदिम जनजाति की है. ये लोग महत्वपूर्ण सामाजिक सूचकांकों विशेष रूप से स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे हैं. राज्य सरकार विकास के लिए कई स्तर पर काम कर रही है. महिला सशक्तीकरण और उपभोक्ता आधारित विकास प्रोत्साहित करने के लिए मंईयां योजना शुरू की गयी है. इसके कारण राज्य के कोष से भारी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.
विशेष पैकेज पर नहीं किया गया विचार
अलका तिवारी ने कहा कि झारखंड का निर्माण वित्तीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों के साथ हुआ था, लेकिन झारखंड को विशेष श्रेणी का राज्य बनाने या विशेष पैकेज देने की मांग पर भारत सरकार द्वारा विचार नहीं किया गया. वामपंथी उग्रवाद से जूझते राज्य के विकास पर घातक प्रभाव पड़ा है.
उन्होंने राज्य सरकार की उपलब्धियों के बारे में भी आयोग को बताया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रही है.
गुजरे पांच वर्षों के दौरान टैक्स रेवेन्यू व नॉन टैक्स रेवेन्यू में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. नीति आयोग की राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 में झारखंड 18 सामान्य श्रेणी के राज्यों में चौथे स्थान पर है. पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकायों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए भी राज्य सरकार प्रतिबद्ध है.