दुमकाः विस्थापितों के आंदोलन से अमड़ापाड़ा स्थित पचुवाड़ा कोल माइंस में कोयला खनन और परिवहन का काम ठप हो गया है. इसके साथ ही कोयला लदे वाहनों को जगह- जगह रोक दिया गया है. विस्थापित रैयत इस बात पर अड़े हैं कि उनकी मांगों पर स्पष्ट निर्णय नहीं लिये जाने तक आंदोलन जारी रहेगा.
नॉर्थ पचुवाड़ा कोल ब्लॉक में खनन ठप होने से झारखंड सरकार को बड़े राजस्व की क्षति हो रही है. उधर वेस्ट बंगाल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) की मुश्किलें भी बढ़ गई है.
दरअसल पचुवाड़ा सेंट्रल और नार्थ कोल माइंस से पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट निगम और थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयला की सप्लाई की जाती है.
सोमवार की शाम चिलगो गांव के फुटबॉल मैदान में प्रशासन, कोल कंपनी और रैयतों के बीच वार्ता हुई, लेकिन ग्रामीण इन बातों पर अड़े रहे कि खनन से पहले एमओयू का कॉपी सार्वजनिक किया जाए, वरना उत्खनन और परिवहन ठप रहेगा.

विस्थापित ने दो टूक कहा है कि कोयला खनन के नाम पर उन्हें गांव से विस्थापित कर दिया गया, लेकिन पिछले सात वर्षों में उन्हें मुआवजा नहीं मिला और न न ही नौकरी. ग्रामीणों की मांग है कि 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके युवाओं को कोल ब्लॉक में नौकरी दी जाए. ओबी कटिंग के बाद पूर्व की तरह जमीन को समतल कर रैयतों को वापस किया जाए.
माइंस के आसपास के गांवों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया नही कराई गई. और अब कंपनी चिलगो गांव में खनन शुरू कर रही है, जबकि बिशनपुर के विस्थापितों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.
विस्थापितों का कहना है कि दोनों माइंस स्वीकृति के समय प्रबंधन और विस्थापितों के बीच हुए लिखित समझौता का प्रबंधन पालन नहीं कर रहा है.
इधर दुमका जिले के गोपीकांदर- काठीकुंड दुमका मार्ग पर लोगों ने कोयला लदे हाइवा के परिचालन को अनिश्चित काल के लिए ठप करा दिया है.
पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के आह्वान पर लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन कर कोयला लदे सैकड़ो वाहनों का चक्का जाम कर दिया.
कोयला ट्रांसपोटेशन के विरोध में मुख्य सड़क से सटे प्रभावित गांवों के ग्राम प्रधान और ग्रामीण सड़कों पर पर उतर गए हैं.
इधर विस्थापन विरोधी आंदोलनकारी मुन्नी हांसदा ने कहा कि जब तक विस्थापितों को उचित मुआवजा, सुविधा और समझौते के शर्तो का पालन सुनिश्चित नहीं होगा तब तक माइंस में माइनिंग और कोल ट्रांसपोर्टिंग ठप रखा जाएगा.