खूंटीः खूंटी जिले के जरियागढ़ थाना क्षेत्र के नगड़ा पतराटोली गांव के 33 वर्षीय उमेश बारला को एक हाथी सूढ़ के सहारे घर से बाहर खींचकर निकाला और पटक दिया. इसके बाद बांस की झाड़ियों के पास ले जाकर हाथी ने अपने दांत से उमेश के पेट में धंसा दिया. इलाज के दौरान उमेश की मौत हो गई.
घटना रविवार देर रात करीब डेढ़ बजे की है. उमेश बारला समाजिक कार्यों में सक्रिय होने के साथ ही साहसी युवक थे. घटना से कुछ देर पहले ही हाथी के गांव में घुसने की सूचना मिलने पर वे हाथों में जलते मशाल लेकर हाथी को भगाने गए थे. हाथी के जंगल की ओर लौटने के बाद वे घर आकर सो गए थे, लेकिन हाथी वापस लौटकर उन्हें घर से निकालकर मार डाला.
उमेश के पिता सोमा बारला ने बताया कि पूर्व में उनकी दो मासूम बेटियों डुभन बारला और जमुना बारला को भी जंगली हाथियों ने मार डाला था. वे बेटियों की मौत के सदमें से उबरे भी नहीं थे कि जंगली हाथी ने उनके बेटे को भी मार डाला. उमेश अपने पिता का इककलौता बेटा था. उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. इधर उमेश की मौत के बाद पूरे गांव में शोक है.
घटनास्थल पर पहुंचे जिला परिषद सदस्य जोरोंग आइंद, भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष विनय गुप्ता, नीलांबर सिंह, रामलखन सिंह, नारायण नायक सहित अन्य लोगों ने वन विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताई है. गांव वालों का कहना है कि हाथियों को भगाने या गांवों में घुसने से रोकने के ले वन विभाग कारगर कार्रवाई नहीं करता है और ग्रामीण दहशत में रहते हैं.
पिछले 19 मार्च को रेगरे गांव में हाथी ने विष्णु सिंह के घर की दीवार को ढा दिया था, जिससे बिस्तर पर सोये उनके दस दिन के नवजात की मौत मलबे में दबकर हो गई थी. जंगलो-पहाड़ों के आसपास बसे गावों में लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है.