खूंटीः आदिवासी बहुल खूंटी जिले के अड़की प्रखंड का बिरबांकी गांव में आयोजित छऊ नृत्य कार्यक्रम ने 92 सालों का सफर पूरा कर लिया है. सांस्कृतिक विरासत और पंरपरा को सहेजे रखने की कोशिशों को मजबूत बनाते हैं गांवों के हजारों लोग. छोटे से आयोजन के साथ शुरू यह कार्यक्रम समय के साथ भव्य समारोह में बदल गया है.
यह मेला सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक मेल-जोल और रिश्तों के जुड़ाव का भी माध्यम है. कई लोग इस अवसर पर वर्षों बाद एक-दूसरे से मिलते हैं. हालचाल लेते हैं, और विवाह जैसे महत्वपूर्ण रिश्तों पर चर्चा करते हैं.
रविवार को कार्यक्रम में खूंटी सहित रांची, सरायकेला, पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम समेत आसपास के जिलों से बड़ी तादाद में लोग उमड़े. कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत अखड़ा पूजा से हुई, जिसे पाहनों ने संयुक्त रूप से संपन्न किया.
इसके बाद छऊ नृत्य का विधिवत उद्घाटन स्थानीय मुखिया, ग्राम प्रधान और पाहनों द्वारा किया गया. भारी भीड़ को देखते हुए छऊ नृत्य का लाइव प्रसारण एलईडी स्क्रीन पर भी किया गया, जिससे दूर खड़े लोग भी नृत्य का आनंद ले सकें.
रात भर चले इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के प्रख्यात छऊ कलाकार अजीत कुमार, मुरली सिंह सरदार और सनत महतो के नेतृत्व में विभिन्न मंडलियों ने अपनी आकर्षक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन और मेला समिति ने विशेष तैयारियां की थी. मेले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, साथ ही ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही थी. पूरा बिरबांकी गांव तोरण द्वार और रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठा था. वहीं, सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए 200 से अधिक वॉलंटियर्स तैनात किए गए थे और पार्किंग की समुचित व्यवस्था की गई थी.
आयोजन समिति ने लोगों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा। इस आयोजन को सफल बनाने में बैजनाथ मुंडा, सागर मुंडा, लुकिन मुंडा, हरि सिंह मुंडा, हालु मुंडा, सोमा मुंडा, धिरजू मुंडा, बिरजु मुंडा, मागो मुंडा समेत अनेक लोगों ने अहम भूमिका निभाई.