खूंटीः धरती आबा बिरसा मुंडा की पुण्य तिथि पर उनकी जन्म स्थली उलिहातू में श्रद्धा-सुमन के साथ उनके वंशजों और आदिवासियों ने याद किया. बिरसा के गीत गूंजते रहे.
आदिवासी 9 जून की तिथि को बिरसा मुंडा शहादत दिवस के तौर पर भी याद करते हैं. 25 साल की उम्र में वीर बिरसा ने बलिदान दिया था.
पुण्य तिथि पर उलिहातू स्थित बिरसा ओड़ा परिसर की साफ-सफाई की गई थी और स्वागत गेट बनाया गया था. जिला प्रशासन की ओर से एक छोटा शामियाना लगाया गया था, जहां सुबह कोरोन पाहन और सुखराम मुंडा की अगुवाई में पारंपरिक पूजा-पाठ कर धरती आबा को श्रद्धांजलि दी गई.
बिरसा शिशु मंदिर स्कूल के 130 छात्र-छात्राएं कतारबद्ध होकर बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे थे.
पारंपरिक वेशभूषा में बिरसा मुंडा के रूप में सजे-धजे आदिवासी बच्चों ने गर्व और गुमान से उलगुलान के नायक को याद किया.
पारंपरिक ढंग से धरती आबा की पूजा की गई. ढोल-मांदर के साथ बिरसा के गीत जंगल- पहाड़ में गूंजते रहे.

खूंटी की उपायुक्त आर. रॉनिटा के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम उलिहातू पहुंची थी. पारंपरिक स्वागत के बाद उपायुक्त ने बिरसा ओड़ा में पूजा-अर्चना की और श्रद्धांजलि अर्पित की. इस अवसर पर बिरसा के वंशजों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.
उपायुक्त ने उलिहातू से किताहातू तक सड़क के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके अलावा मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत तीन वृद्धों को स्वीकृति पत्र और चार लाभार्थियों को ग्रीन राशन कार्ड वितरित किए गए.
झामुमो के विधायक सुदीप गुड़िया, रामसूर्या मुंडा, जिलाध्यक्ष जुबैर अहमद, तमाड़ विधायक प्रतिनिधि मनोज मंडल, आसपास के ग्रामीण भी श्रद्धांजलि देने उलिहातू पहुंचे. दूसरे प्रदेशों से भी कई लोग आए थे. बिरसा की मूर्ति की एक झलक पाने और श्रद्धा के दो फूल चढ़ाने की आतुरता के साथ.
डोम्बारीबुरू में उपवास
उधर बिरसा मुंडा की बलिदानी भूमि डोम्बारी बुरू में झारखंड उलगुलान संघ के तत्वावधान में एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत पाहनों की अगुवाई में पूजा-अर्चना से हुई.
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक अलेस्टेयर बोदरा ने उपवास का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि अलग राज््य गठन के 25 वर्ष बाद भी बिरसा के सपने साकार होते नहीं दिख रहे. जल, जंगल, जमीन की रक्षा की कोशिशों की चर्चा की गई.
बोदरा ने झारखंड सरकार पर पेसा कानून के लागू नहीं करने को लेकर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित पेसा नियमावली सिर्फ आदिवासियों को भ्रमित करने की कोशिश है. जब तक समावेशी पंचायत राज अधिनियम नहीं बनता, तब तक नियमावली का कोई औचित्य नहीं है.
खूंटी जिला मुख्यालय में भी धरती आबा की पुण्य तिथि पर कई कार्यक्रमों में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. बिरसा मुंडा के बलिदान और सपने की चर्चा की गई.