रांचीः झारखंड के गोड्डा में हुए सूर्या हांसदा एनकाउंटर के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव डीजीपी के अलावा गोड्डा जिले के उपायुक्त और एसपी को नोटिस जारी किया है.
आयोग के नोटिस में उक्त अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे सभी आयोग के समक्ष तीन दिन के अंदर व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर या डाक अथवा अन्य संचार माध्यमों से संबंधित आरोपों/मामलों में की गई कार्रवाई के बारें में सूचना प्रस्तुत करें.
आयोग ने कहा है कि अगर उक्त अवधि में जवाब नहीं मिलता है, तो आयोग भारत के संविधान अनुच्छेद 338क के तहत उसे सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है. साथ ही समन जारी कर सकता है.
झारखंड में बीजेपी के राज्य सभा सांसद दीपक प्रकाश के आवेदन पर आयोग ने यह रुख अख्तियार किया है. दीपक प्रकाश ने इस बाबत 16 अगस्त को आवेदन देकर आदिवासी नेता सूर्या हांसदा की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले में निष्पक्ष जांच एवं आवश्यक कार्यवाही के लिए आग्रह किया है. आयोग ने इस आवेदन पर जांच करने का निश्चय किया है.
गौरतलब है कि सूर्या की देवघर के मोहनपुर स्थित नवाडीह गांव से गिरफ्तारी और फिर रविवार- सोमवार की दरमियानी रात (11 अगस्त) कमलडोरी पहाड़ के पास मुठभेड़ को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. सूर्या हांसदा के परिजनों के अलावा बीजेपी और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने इस एनकाउंटर की सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं.
सूर्या हांसदा ललमटिया थाना क्षेत्र के डकैता गांव के रहने वाले थे. वे बोरियो से चार बार अलग- अलग दलों से चुनाव लड़े और दमदार प्रदर्शन किया. उनकी मां नीलमणि मुर्मू और पत्नी सुशीला मुर्मू लगातार आरोप लगाती रही हैं कि बीमार हाल में सूर्या को देवघर के मोहनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत नवाडीह से पकड़ा गया. इसके बाद बर्बरतापूर्ण टॉर्चर करते हुए उसे पुलिस ने मार डाला. इन दिनों सूर्या नवाडीह में अपनी मौसी के यहां रह रहे थे. सूर्या के पिता और मां भी आदिवासी परंपरा के तहत लोगों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.
आदिवासियों के बीच से भी इस घटना को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. आदिवासी संगठन के प्रतिनिधि लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सूर्या के ऊपर पुलिस के कई केस दर्ज थे, लेकिन गोड्डा, साहिबगंज में अवैध खनन, माफिया के वर्चस्व के खिलाफ और आदिवासी हक, अधिकार के लिए लड़ने की वजह से सूर्या पर कई केस दर्ज हुए और पुलिस उसे कुख्यात अपराधी के तौर पर पेश कर रही है. जबकि एक भी मामले में उसे सजा नहीं हुई है.
सूर्या अनाथ, गरीब बच्चों के लिए एक आवासीय स्कूल भी चलाते थे, जहां बच्चों की निशुल्क पढ़ाई के साथ रहने-खाने की व्यवस्था उन्होंने की थी. इसके बदले में साजिशन उसे मारकर पुलिस ने एनकाउंटर की थ्योरी गढ़ी.