रामगढ़ः कोयलांचल के लोकप्रिय वामपंथी और मजूदर नेता मिथिलेश सिंह का शुक्रवार को निधन हो गया. वे किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. रामगढ़ के कैथा स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.
71 साल के मिथिलेश सिंह की पहचान जुझारू, संघर्षशील और स्पष्ट वादी नेता के रूप में थी. उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे रामगढ़ कोयलांचल में शोक की लहर फैल गयी है. लोगों की भीड़ उनके आवास पर जुटी हुई है. उनका अंतिम संसकार शनिवार को गिद्दी में दामोदर नद के किनारे किया जाएगा.
जेल में रहे, मीसा एक्ट भी लगा
मिथिलेश सिंह ने मजदूरों के हित अधिकार में मुखर होकर ताउम्र संघर्ष किया. वे वर्ष 1973-74 में कोलियरियों के राष्ट्रीयकरण से पूर्व गिद्दी क्षेत्र के हेसालौंग कोलियरी में काम करने आये थे. यहीं से उन्होंने मजदूर राजनीति में कदम रखा. इसके बाद 1975 में इमरजेंसी लगने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा तथा उन पर मीसा एक्ट लगा. वे लगभग दो वर्ष हजारीबाग जेल में रहे.
हजारीबाग केंद्रीय कारा में ही मिथिलेश सिंह की मुलाकात बड़े वामपंथी नेता एके राय से हुई. उनके सानिघ्य में उन्होंने वामपंथ को जाना. जेल से छूटने के बाद उन्होंने मोटर कामगार यूनियन से जुड़ कर मजदूरों की राजनीति करने लगे. इसी बीच सांसद बनने के बाद एके राय जेल से छूटे तथा माकपा से अलग होकर मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का गठन किया. मिथलेश सिंह भी मासस में शामिल हो गये तथा बीसीकेयू व सीटू आदि से जुड़ कर राजनीति करने लगे.

मासस का विलय
मासस का भाकपा माले में विलय कराने में भी मिथिलेश सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इसके साथ ही वे बीसीकेयू से भी जुड़े रहे. रामगढ़ कोयलांचल में मिथिलेश सिंह जुझारू नेता के रूप में पहचान रखते थे.
प्रसिद्ध उद्योगपति रामचंद्र रुंगटा से मजूदरों को लेकर हुये विवाद को आज भी लोग याद करते हैं. इस विवाद में मिथिलेश सिंह को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था. साथ ही 26 जुलाई 1991में रैलीगढ़ा में हुए मासस व माले समर्थकेां में हुये खूनी संघर्ष में भी इनका नाम आया. क्षेत्र में कई आंदोलनों का नेतृत्व उन्होंने किया.
गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद तथा मजदूर नेता चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे का निधन और इसके अगले दिन शुक्रवार को वामपंथी मजदूर नेता मिथिलेश सिंह के निधन को मजदूर राजनीति पर बड़ा आघात के तौर पर देखा जा रहा है.
शोक की लहर, दीपकंर ने दुख जताया
भाकपा माले के महासचिव दीपकंर भट्टाचार्य ने सोशल मीडिया के अकाउंट में दुख प्कट करते हुए कहा है, “अभी-अभी यह दुखद समाचार मिला कि कॉमरेड एके रॉय के करीबी साथी कॉमरेड मिथिलेश सिंह का निधन हो गया. झारखंड में कोयला खदानों के एक कद्दावर नेता, कॉमरेड मिथिलेश जी ने एमसीसी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी-मुक्ति) भाकपा (माले) के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. डायलिसिस पर होने के बावजूद, वे झारखंड के मज़दूर वर्ग के संघर्षों में गहराई से शामिल रहे. अलविदा, कॉमरेड मिथिलेश सिंह. शोषण-मुक्त झारखंड और समाजवादी भारत की लड़ाई में मज़दूर वर्ग के सभी वर्गों की एकता के आपके मिशन को हम आगे बढ़ाएँगे.”
माले के विधायक अरूप चटर्जी, चंद्रदेव महतो, पूर्व विधायक विनोद सिंह, आनंद महतो, पार्टी की राज्य कमेटी के अलावा वाम दलों के कई नेताओं, कार्यकर्ताओं और मजदूर यूनियन के नेताओं ने भी गहरा दुख प्रकट करते हुए मिथिलेश सिंह के संघर्ष को सलाम किया है.
सीटू झारखंड राज्य कमिटी के महासचिव बिश्वजीत देब कॉमरेड मिथिलेश सिंह ने शोक प्रकट करते हुए कहा है कि कॉमरेड मिथिलेश सिंह के निधन से, ट्रेड यूनियन आंदोलन ने एक वरिष्ठ ,लोकप्रिय, अग्रिम पंक्ति के अनुभवी नेता को खो दिया है. यह एक बड़ी क्षति है।
उन्होंने अविभाजित बिहार, विशेष रूप से वर्तमान उत्तरी छोटानागपुर के बड़े क्षेत्रों में, कोयला श्रमिकों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के असंगठित श्रमिकों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
कॉमरेड मिथिलेश, अस्वस्थता के बावजूद, ट्रेड यूनियन आंदोलन में तब तक सक्रिय रहे जब तक कि वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ गए. उनके निधन की खबर मिलते ही सीटू के उपाध्यक्ष और सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, सीटू कोषाध्यक्ष अनिर्बान बोस और सीटू के राज्य कमिटी सदस्य समीर दास और अमल आजाद उनके आवास पर गिद्दी रवाना हो गए हैं.