रांची: शराब घोटाला मामले के मुख्य आरोपी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे समेत कई अन्य अफसर, कारोबारी की जमानत को लेकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कई सवाल खड़े किए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया है कि शराब घोटाले की जांच में जान-बूझकर ढिलाई की गई, जिसकी वजह से आरोपियों को जमानत मिली. उन्होंने कहा कि पहले से आशंका थी कि शराब घोटाले में गिरफ्तारी केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने, बड़े षड्यंत्रकारियों को बचाने और भयादोहन कर मोटी रकम वसूली का रास्ता निकालने का एक प्रयास है और दुर्भाग्य से यह आशंका अब सच साबित हो रही है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सरकार की जांच एजेंसी तीन महीने के भीतर एक चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई, जिसके कारण एक-एक कर जेल में बंद सारे आरोपियों को जमानत मिल रही है.
पूछताछ की रिकॉर्डिंग कहां है
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “ऐसे गंभीर भ्रष्टाचार के मामलों में प्रमाण के तौर पर बयान की रिकॉर्डिंग होती है. उसे सुरक्षित रखा जाता है. खासकर बड़े अधिकारियों या प्रभावशाली अभियुक्तों के मामलों में. उन्होंने आरोप लगाया है कि किसी की भी पूछताछ की रिकॉर्डिंग नहीं रखी गई है ताकि मन मुताबिक बयान दर्ज कर जिसको चाहे फंसा दें और जिसको चाहें बचा लें.”
बाबूलाल मरांडी ने सीएम से पूछा, “समय पर चार्जशीट न करने की योजना पर काम आपकी सहमति से हुआ है या नहीं? उन्होंने आरोप लगाया है कि इतना बड़ा गोरखधंधा और डील आपकी इजाजत के बगैर करने की हिम्मत कोई अधिकारी नहीं कर सकता है”?
साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि अगर इसमें आपकी सहमति नहीं है तो बिना विलंब दोषी अफसरों पर कार्रवाई करें ताकि जांच की आंच देर सबेर आप तक न पहुंच जाए.