हजारीबागः नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी कुमार गौरव की हत्या के विरोध में पांच दिनों से आंदोलन कर रहे परियोजना के अधिकारी और कर्मचारी काम पर लौट गए हैं. हत्या के विरोध में पांच दिनों से एनटीपीसी में प्रशासनिक कामकाज के अलावा माइंस और कोयला डिस्पैच बंद था. दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों ने काम पर लौटने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही कुमार गौरव को पत्नी को एनटीपीसी में नौकरी देने की सहमति बनी है.
पिछले आठ मार्च की सुबह को कुमार गौरव की हत्या के बाद हजारीबा, पकरी बरवाडीह, केरेडारी, टंडवा स्थित एनटीपीसी की परियोजनाओं और दफ्तरों में अधिकारियों समेत कर्मियों ने कामें कार्य बहिष्कार कर रखा था. कार्य बहिष्कार के कारण हजारीबाग से आठ तारीख से ही कोयला का रैक जाना भी बंद हो चुका था. माइंस क्षेत्र में भी सन्नाटा पसरा था. दिल्ली में हुए कुछ स्तरीय बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 13 मार्च गुरुवार से एनटीपीसी के पदाधिकारी और कर्मी अपनी सेवा देना शुरू कर देंगे
पांच दिनों से माइनिंग और कोयला डिस्पैच ठप था
दिल्ली में अखिल भारतीय एनटीपीसी कार्यपालक पदाधिकारी महासंघ (नेफी) के पदाधिकारी ने केंद्रीय कोयला एवं विद्युत मंत्री से मुलाकात कर कुमार गौरव की हत्या के बारे में विस्तृत जानकारी दी है. इसके साथ ही मांग पत्र सौंपा गया है. बुधवार को ही गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में झारखंड के कोयला क्षेत्र में अवैध माइनिंग और हत्याओं के बारे में सरकार का ध्यान खींचा था. झारखंड विधानसभा में भी यह मामला बीजेपी ने उठाया है.
इधऱ एनटीपीसी के जीएम, इन्फ्रा संजय कुमार दुबे ने बताया है कि कई स्तर पर बैठक की गई है. यह निर्णय़ लिया गया है कि सभी पदाधिकारी एक बस से सामूहिक रूप से हजारीबाग से कार्यक्षेत्र में पहुंचेंगे, जिसमें सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहेंगे. कार्यक्षेत्र और माइनिंग एरिया में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं.
कोल माइनिंग पकरी बरवाडीह से जुड़े अखिल भारतीय एनटीपीसी कार्यपालक पदाधिकारी महासंघ (नेफी) के नेफी अध्यक्ष कमला राम रजक ने बताया कि बुधवार को ही स्थानीय प्रबंधन के साथ केरेडारी, बकरी बरवाडीह ,चट्टी बरियातू ,बादम के जीएम और क्षेत्रीय निदेशक बैठक में शामिल हुए थे. बैठक में तय किया गया है कि कुमार गौरव की पत्नी को नौकरी दी जाएगी. साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. इन निर्णयों के बाद आंदोलन समाप्त हो गया है.