उच्चतम न्यायालय बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करेगा.
यह याचिकाएं राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) सहित अन्य ने दायर की हैं.
इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, शादाब फरासत और गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष दलील देते हुए वरिष्ठ वकीलों ने कहा, “चुनाव आयोग के फैसले से लाखों मतदाताओं, खासकर महिलाओं और गरीब लोगों के अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.”
सिंघवी ने कहा, “8 करोड़ मतदाता हैं और 4 करोड़ को गणना करनी है.”
आरजेडी के तरफ से पेश हुए सिब्बल ने कहा, “यह एक असंभव कार्य है.” शंकरनारायणन ने कहा, “वह आधार कार्ड, मतदाता कार्ड स्वीकार नहीं कर रहे हैं.”
सिंघवी ने कहा, “निर्धारित समय बहुत कम है और इसके अनुसार अगर 25 जुलाई तक आप प्रमाण नहीं दे पाए तो आप सूची से बाहर हो जाएंगे.”
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, “अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में समय सीमा की कोई वैधता नहीं है.”