रांचीः झारखंड के सरकारी स्कूलों में दिशोम गुरु की जीवनी पढ़ायी जाएगी. सरकार के स्कूली साक्षरता विभाग ने इस बाबत प्रस्ताव तैयार किया है. निर्णय लिया गया है कि गुरुजी की जीवनी को कक्षा एक से बारह तक की किताबों में शामिल किया जाएगा.
स्कूली साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह ने बुधवार को इस मामले को लेकर एक समीक्षा बैठक कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक शिबू सोरेन की जिंदगी और संघर्ष, आंदोलन को लेकर अलग- अलग कक्षाओं में अलग-अलग विषयों में शामिल किए जाएंगे. अगले सत्र के लिए छपने वाली किताबों में इसे शामिल किया जाएगा.
पहली से बारहवीं कक्षा तक की कुल 8 किताबों में शिबू सोरेन के जीवन पर आधारित अध्याय जोड़े जाएंगे. छोटे बच्चों (कक्षा 1 से 5) के लिए शिबू सोरेन का परिचय सरल भाषा और कहानियों के माध्यम से कराया जाएगा, जबकि आगे की कक्षाओं में उनके सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष, आदिवासी पहचान की रक्षा में उनकी भूमिका, और संसदीय जीवन जैसे पहलुओं को विस्तार से पढ़ाया जाएगा.
इसके अलावा, विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट वर्क और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से भी इस विषय से जोड़ा जाएगा.
कक्षा एक और दो के बच्चों के लिए चित्रकथा के रूप में गुरुजी की जीवनी पर अध्याय को शामिल किया जाएगा. कक्षा चार में कविता और कहानी के रूप में गुरुजी के पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए गए कार्यों को शामिल किया जाएगा.
जबकि कक्षा छह में सोशल साइंस की किताबों में शिबू सोरेन के द्वारा नशा के विरोध में किए गए सामाजिक अभियान और संकल्प की चर्चा होगी. 11वीं कक्षा में भाषा की किताबों में शिबू सोरेन के 19 सूत्री कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसे ऊर्दू, हिंदी, अंग्रेजी की किताबों में जगह दी जाएगी.
गौरतलब है झारखंड में प्राइमरी से लेकर सेकेंडरी स्तर के 35 हजार सरकारी स्कूल हैं. इनमें लगभग 70 लाख बच्चे पढ़ते हैं.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक और महाजनी प्रथा के खिलाफ तथा अलग राज्य के वास्ते आंदोलन के नायक शिबू सोरेन का पिछले चार अगस्त को निधन हो गया है.