रांचीः सहारा समूह के कार्यकलाप और निवेशकों के फंसे पैसे के मामले में जांच कर रहे अपराध अनुसंधान विभाग झारखंड (CID) ने पुलिस प्रमुख को एक रिपोर्ट भेजकर सहारा के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुशंसा की है.
जांच में ये तथ्य सामने आए हैं कि सहारा समूह ने न्यायालय और सेबी के निर्देश का उल्लंघन कर झारखंड और बिहार में मौजूद करोड़ों की जमीन कम कीमत में बेच डाली है. जबकि जमीन बिक्री के पैसे न तो सेबी में जमा किए जा रहे और न ही निवेशकों को लौटाये जा रहे.
जांच में पता चला है कि सहारा समूह की जमीनों को सेबी के द्वारा निर्धारित मूल्य से कम मूल्य पर बेचा गया.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जांच के दौरान सहारा इंडिया के अधिकारी शैलेंद्र शुक्ला से पूछताछ की गयी. पूछताछ में शुक्ला ने बताया कि कंपनी के मुख्यालय के निर्देश पर रांची और बोकारो जोन से कोलकाता, गुवाहाटी, पटना, लखनऊ, दिल्ली जैसे शहरों में पैसे ट्रांसफर किए जाते थे.
शुक्ला ने बताया कि फंड ट्रांसफर का आदेश सहारा इंडिया के मंडल प्रमुख नीरज कुमार पाल और मुख्यालय के एग्जीक्यूटिव एस.बी. सिंह की ओर से दिया जाता था. CID की रिपोर्ट के अनुसार, सहारा समूह ने फर्जी कंपनियों और फर्जी व्यक्तियों के माध्यम से जमीनों की बिक्री की.
जांच में यह भी सामने आया है कि जमीनें, सेबी द्वारा तय कीमत से बहुत कम दाम में बेची गयीं और बिक्री से मिली रकम ना तो सेबी में जमा की गयी और ना ही निवेशकों को वापस लौटाई गयी. इसके बजाय इस पैसे को निजी खर्चों में इस्तेमाल किया गया.
बोकारो में भी बेच दी
सेवी के द्वारा अपने मास्टर लिस्ट में क्रम संख्या 29 में बोकारो की जमीन का जिक्र है. बोकारो की 68.14 एकड़ जमीन का वैल्यूएश सेबी के वैल्युअर श्याम अग्रवाल ने 5 नवंबर 2013 को 61.33 करोड़ लगाया था. चास अंचल कार्यालय से भी इस भूखंड को सहारा समूह का बताया गया है.
धनबाद के गोविंदपुर के रेगुनी मौजा में सहारा की जमीन पर असर्फी अस्पताल बन गया है. इसी तरह धनबाद, पटना, बेगूसराय में भी कम कीमत में जमीन बेचकर सहारा ने अपने खर्चे में इस्तेमाल किया.
CID ने पूरे मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है और सभी फर्जी सौदों की जानकारी इकट्ठा की जा रही है. सहारा के अधिकारियों के अलावा अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी से सहयोग मांगा गया है.