रांचीः झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर दुबे ऊर्फ ददई दुबे का गुरुवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे ददई दुबे का दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान उन्होंने अंतम सांस ली.
पलामू के विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत चौका गांव में उनका जन्म हुआ था. विश्रामपुर से वे चार बार विधायक रहे. 2013 में झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में वे मंत्री भी रहे.
इससे पहले 2004 में धनबाद संसदीय क्षेत्र से यूपीए फोल्डर में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता था. जाहिर तौर पर पलामू के अलावा कोयलांचल की राजनीति में भी वे सक्रिय रहे.
79 साल के ददई दुबे इंटक के लोकप्रिय नेताओं में शुमार थे. कोयला कामगारों के बीच उन्होंने लंबे समय तक काम किया. इनके अलावा वे नीलांबर- पीतांबर विश्वविद्यालय पलामू के सीनेट मेंबर भी थे.
80 के दशक में मुखिया के तौर पर उन्होंने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था. पहली बार 1985 में विधायक का चुनाव जीते. वे दो टूक बोलने और अक्खड़ स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. कई मौके पर वे अपनी सरकार, पार्टी के खिलाफ बोलने से भी नहीं हिचकते. उनके समर्थक उन्हें ‘बाबा’ और ‘दादा’ के नाम से भी संबोधित करते थे. राजनीतिक जीवन में उन्होंने उतार- चढ़ाव का भी सामना किया.
उनके निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक और श्रमिक संगठनों ने दुख व्यक्त किया है. पार्टी नेताओं ने उन्हें एक संघर्षशील, ज़मीनी और निडर नेता के रूप में याद किया है.
इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा है, “झारखंड सरकार में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता आदरणीय चंद्रशेखर दुबे (ददई दुबे) जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहते हुए ददई दुबे जी लोगों के हक-अधिकार के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे. उनका निधन राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है. मरांग बुरु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुःख की यह घड़ी सहन करने की शक्ति दे.”