खूंटीः जिस झारखंड राज्य का सालाना बजट एक लाख 45 हजार करोड़ का है, 11 मंत्रियों के आलीशान बंगले बनाये जाने में 70 करोड़ खर्च होते हों, वहां सुदूर गावों में रहने वाले आदिवासी परिवारों के सामने बेबसी क्या होती है, यह तस्वीर उसकी बानगी है. खूंटी जिले के अड़की प्रखंड के तोडांग पंचायत के सूत्रीकोलोम गांव में गुरुवार सुबह एक गर्भवती महिला को खटिया पर लादकर नदी पार कराया गया. वजह- सड़क बनी, पर पुल नहीं बना.
प्रसव पीड़ा से तड़पती सुकरु कुमारी को उसके पति बिरसा नाग और ग्रामीणों ने मिलकर चारपाई पर लिटाया. इसके बाद जोखिम उठाते हुए नदी पार किया। और ममता वाहन तक पहुंचे. वहां से गर्भवती महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अड़की ले जाया गया.
सुकरु कुमारी के पति बिरसा नाग कहते हैं, तड़के तीन बजे पत्नी को प्रसव पीड़ा से छटपटा रही थी, मगर गांव से बाहर निकलने का रास्ता नहीं था. हिम्मत करके खटिया पर ले जाना पड़ा. रास्ते में हर कदम पर डर था कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए. अगर पुल बना होता तो ऐसी परेशानी नहीं होती.
सूत्रीकोलोम गांव के आसपास के फटका, नीचे मालुटी, कसमार जैसे दर्जनों गांवों में हालात ऐसे ही हैं. गर्भवती महिलाएं, बीमार लोग या कोई भी आपात स्थिति होने पर उनके लिए खटिया ही एम्बुलेंस है और नदी की तेज धार सबसे बड़ी चुनौती.
वैसे झारखंड में यह कोई पहला गांव भी है, जो अलग राज्य गठन के 25 साल बाद भी एक अदद पुल, सड़क, मुकम्मल इलाज के लिए तरसता है.