रांची: मरांगबुरु फाउंडेशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से प्रसिद्ध पारसनाथ पर्वत को संथाल आदिवासी समुदाय का तीर्थस्थल घोषित करने की मांग की है.
इसके साथ ही उन्होंने उस क्षेत्र की सुरक्षा, प्रबंधन, निगरानी और नियंत्रण की जिम्मेदारी ग्राम सभा को सौंपने की जरूरत बताई है.
फागु बेसरा के नेतृत्व में मरांग बुरू फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है.
झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पर्वत को संथाल आदिवासियों का समूह मरांगबुरु पर्वत के रूप में मानता रहा है.
राजभवन पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल संतोष गंगवार से अनुरोध किया है कि वे इस पवित्र तीर्थस्थल को आदिवासी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता देकर, इसके संरक्षण की दिशा में आवश्यक निर्देश संबंधित विभागों को दें.
फाउंडेशन के प्रतिनिधियों का कहना है कि संथाल आदिवासियों के लिए न केवल एक प्राकृतिक संरचना है बल्कि यह उनके ईश्वर ‘मरांग बुरू’ का प्रतीक भी है. यह स्थल युगों-युगों से पूजा जाता रहा है और यहां धार्मिक आस्था, परंपरा एवं आदिवासी संस्कृति गहराई से समाई हुई है. पर्वत की चोटी पर युग जाहेर थान (सरना) और तलहटी में दिशोम गौझी धान्न स्थित है, जो इस समुदाय के दो प्रमुख पूजा स्थल हैं. यहां हर साल पारंपरिक विधि-विधान से आदिवासी पूजा करते रहे हैं.
इसी मांग को लेकर संथाल आदिवासियों के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा था.