विस्थापन के खिलाफ रैयतों के हक अधिकार की लड़ाई में इसे जयराम की आक्रमकता कहिये, या लोगों को गोलबंद करने का माद्दा या फिर आउट सोर्सिंग कंपनी बीसीसीएल के अधिकारी मैनेजर ठेकेदार के कथित गठजोड़ को हिलाने का तरीका, पर सच यह है कि सड़क से सदन तक जयराम की आवाज कोयलांचल में बरसों बरस से विस्थापन के संघर्ष को धार देती है और यही तेवर उनके राजनीतिक विरोधियों को डराता भी है.
जाहिर है हक, अधिकार की यह लड़ाई रफ्ता-रफ्ता असर भी दिखाती है. बुधवार की रात जब झारखंड का कोना- कोना करम परब के जश्न में डूबा था, तब झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख और डुमरी से विधायक जयराम धनबाद में पाथरडीह स्थित मिवान स्टील लिमिटेड (मोनेट) वाशरी के अधिकारियों की नींद उड़ाये बैठे थे. हिसाब कर रहे थे- कुलटांड़ बस्ती निवासी शिव शंकर महतो उर्फ जादू महतो की मौत का. जयराम के साथ डटी थी जेएलकेएम की सेना, तीन दिनों से रोते-कलपते जादू के परिजन और बस्ती के लोग.
बातें होती रही. टेबल ठोंक कर. कोल वाशरी के अधिकारी कुछ वक्त मांगते रहे. जयराम ने दो टूक कहा, बॉडी दस दिनों तक नहीं उठेगा और न ही हमलोग टस से मस होंगे. बहस होती रही. आखिरकार आधी रात बात बनी.
मोनेट के अधिकारियों ने जादू के आश्रित को नियोजन देने की चिट्ठी निकाली. इसकी भी सहमति बनी कि जादू की जमीन कब और कितनी ली गई है, इसका भी हिसाब देना होगा. सुनिये टाइगर जयराम की जुबानी…
कुलटांड़ बस्ती निवासी शिव शंकर महतो उर्फ जादू महतो ने शनिवार को अपने घर के समीप शरीर में आग लगा ली थी. पहले उन्हें एस एन एमसीएच में भर्ती कराया गया, जहां से बोकारो बीजीएच रेफर कर दिया गया था. रविवार की देर रात इलाज के दौरान जादू ने दम तोड़ दिया.
इससे पहले मौत से जंग लड़ते जादू महतो ने इस हाल के लिए कंपनी के एचआर, प्रोजेक्ट पदाधिकारी तथा एक अन्य स्थानीय नेता को जिम्मेदार बताया था. जादू का वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा.
आरोप है कि एक साजिश के तहत मोनेट में जादू को स्थानीय स्तर पर ठेका देना बंद कर दिया गया था, जबकि दशकों पहले उसकी पांच एकड़ 71 डिसमील जमीन के अधिग्रहण को लेकर पूर्व में जादू ने आवाज मुखर की थी.
नौकरी और मुआवजे की मांग पर अड़ गए, तो साल 2012 में एक वार्ता करके इसमें तय हुआ था कि मोनेट में जादू को ठेके का काम मिलेगा. लेकिन बाद में उन्हें इससे हटा दिया गया. स्थानीय लोगों का आरोप है कि कोल वाशरी में स्थानीय स्तर पर ठेका का काम बंद कर दिए जाने से वह तनाव में रहता थे.
इधर जादू की मौत के बाद सोमवार को उनके शव को वाशरी के मुख्य गेट पर रख कर परिजनो, बस्ती के लोग और जेएलकेएम ने आंदोलन छेड़ दिया. सोमवार को लोग डटे रहे. और मंगलवार को भी.
खबरों के मुताबिक मंगलवार को झरिया से बीजेपी की विधायक रागिनी सिंह भी पहुंची. परिजनों से बात की. उन्होंने कहा कि जादयू के परिजनों की मांग जायज है। सत्तारूढ़ जेएमएम के भी कई नेता, कार्यकर्ता पहुंचे थे. जनता मजदूर संघ के भी नेता ने भी प्रबंधन से बात कर मांग रखी.
इधऱ जेएलकेएम के नेता शक्तिनाथ महतो, एकलाख अंसारी, विकास महतो, प्रिंस महतो, अधीश महतो, राजा दास लगातार मोर्चा संभाले रहे। सबकी नजरें टाइगर जयराम के आने पर टिकी रही। बुधवार की शाम जयराम पहुंचे और फिर क्या झंडा गाड़ दिया.
इस लड़ाई के साथ जयराम ने यह भी कहा है कि रैयत, विस्थापित किसी जुल्म, अन्याय के खिलाफ प्रतिकार में अपनी जान कतई मत गंवायें. लड़ें और आखिरी दम तक. तब देखा जायेगा कि हमें कौन कितना दबाता है.
बहरहाल, दो दिनों पहले झारखंड की सरकार ने राज्य में विस्थापन पुनर्वास आयोग गठन को लेकर नियमावली प्रारूप कैबिनेट में मंजूरी दी है. विस्थापन आयोग गठन की मांग वर्षों पुरानी रही है. दरअसल झारखंड में विस्थापन का दर्द गहरा है।
सार्वजनिक जीवन की शुरुआत के साथ ही संघर्ष में जयराम के लिए भी यह मुद्दा अहम रहा है. विधानसभा के सत्रों में वे इस मुद्दे पर जोरदार बहस करते रहे हैं.