पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को कहा कि उनका देश पहलगाम आतंकी हमले की किसी भी “तटस्थ और पारदर्शी” जांच में भाग लेने के लिए तैयार है.
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक शरीफ ने कहा, “शांति हमारी इच्छा है, लेकिन इसे हमारी कमज़ोरी नहीं समझा जाना चाहिए.”
शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि पाकिस्तान हर क़ीमत पर अपनी संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करेगा.
इससे एक दिन पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा था कि “या तो हमारा पानी इस सिंधु नदी में बहेगा या फिर यह उनका खून होगा.” उन्होंने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के भारत के फैसले का हवाला दिया था.
काकुल में पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी में पासिंग आउट परेड में बोलते हुए शरीफ ने शनिवार को कहा: “पहलगाम में हुई हालिया त्रासदी इस निरंतर दोषारोपण के खेल का एक और उदाहरण है, जिसे पूरी तरह से बंद किया जाना चाहिए. एक जिम्मेदार देश के रूप में अपनी भूमिका को जारी रखते हुए, पाकिस्तान किसी भी तटस्थ, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच में भाग लेने के लिए तैयार है.”
इसमें शरीफ ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के शब्दों को दोहराया, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “गले की नस” बताया. मुनीर ने पिछले सप्ताह ही इस्लामाबाद में प्रवासी पाकिस्तानियों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी. पहलगाम आतंकी हमले पर शरीफ के बोलने से 24 घंटे से भी कम समय पहले बिलावल ने कहा था कि “या तो हमारा पानी इस सिंधु नदी में बहेगा या फिर यह उनका खून होगा क्योंकि यह नदी पाकिस्तान की है और इसे छीनने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया जाएगा.”
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी.
इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी बॉर्डर को बंद करने सहित कई फ़ैसले लिए थे.
यह संधि 1960 से सिंधु बेसिन की नदियों के उपयोग को नियंत्रित करती है और भारत द्वारा इसे स्थगित रखने के कदम से पाकिस्तान में घरेलू आक्रोश और कूटनीतिक टकराव दोनों शुरू हो गए हैं. पाकिस्तान ने भारत के कदम का विरोध करने की कसम खाई है और संधि को दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण शांति तंत्र बताया है.
सिंधु जल अधिकारों पर संकट ने पाकिस्तान में आंतरिक तनाव को भी बढ़ा दिया है.