राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस गुरुवार को खारिज कर दिया.
धनखड़ ने विशेषाधिकार हनन नोटिस को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है। मुझे लगता है कि इसमें कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.’’
गृह मंत्री ने अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए 1948 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया था कि कांग्रेस के एक नेता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन का हिस्सा थे.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के विशेषाधिकार हनन नोटिस पर अपनी व्यवस्था में धनखड़ ने कहा कि शाह ने कोई ‘‘उल्लंघन’’ नहीं किया है और इस सप्ताह की शुरुआत में एक बहस के दौरान उनके बयान ‘‘सत्य का पूर्ण अनुपालन’’ कर रहे थे.
सभापति ने आगे कहा कि मीडिया में चर्चा पाने के लिए विशेषाधिकार हनन का जल्दबाजी में हवाला दिया गया.
साथ ही सभापति ने सदन की आचार समिति से कहा कि वह आसन के साथ संवाद जारी करने या नोटिस जारी करने जैसे मुद्दों पर सांसदों के आचरण पर नए दिशा-निर्देश बनाए.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी पर ‘‘आक्षेप लगाने’’ का आरोप लगाते हुए शाह के खिलाफ नोटिस दिया था.
सभापति ने कहा कि शाह ने 25 मार्च को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर हुई बहस का जवाब देते हुए कुछ टिप्पणियां करने के बाद अपने बयान को प्रमाणित करने पर सहमति व्यक्त की थी.
उन्होंने कहा ‘‘मुझे लगता है कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. सत्य का पूर्ण पालन किया गया है, जिसकी पुष्टि सदस्यों के पास उपलब्ध एक दस्तावेज से होती है और ऐसी स्थिति में, मैं गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार प्रश्न के इस नोटिस को स्वीकार करने के लिए खुद को सहमत नहीं कर सकता.’’
जयराम रमेश ने बुधवार को शाह के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ ‘‘बेबुनियाद आरोप’’ लगाने के लिए ‘‘उनकी छवि खराब करने के पूर्व नियोजित उद्देश्य’’ का हवाला दिया था.
कांग्रेस सांसद ने पत्र में कहा था ‘‘भले ही गृह मंत्री ने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख किया था और उन पर आरोप लगाया था. गृह मंत्री ने सोनिया गांधी की छवि खराब करने के पूर्व नियोजित उद्देश्य से उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए थे. गृह मंत्री का बयान पूरी तरह से झूठा और अपमानजनक है.’’
(भाषा से इनपुट)