रांचीः झारखंड की राजधानी रांची में सिरमटोली सरना स्थल के सामने से फ्लाईओवर कै रैंप हटाने की मांग को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा बुलाये गए रांची बंद का शहर में कई जगहों पर असर दिखने लगा है. आदिवासी संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर उतरे हैं. कई प्रमुख सड़कों को जाम कर दिया गया है. कई जगह सड़कों पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
इधर हालात को सामान्य बनाने के लिए पुलिस ने भी मोर्चा संभाल लिया है. एसएसपी चंदन सिन्हा खुद हालात का जायजा लेने निकले हैं. पुलिस के अन्य अधिकारी भी चौक- चौराहे पर तैनात हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना नहीं हो. वैसे कई इलाकों में जनजीवन सामान्य रहने की भी खबरें हैं.
इससे पहले रांची बंद को सफल बनाने के लिए आदिवासी संगठनों ने शुक्रवार को राजधानी में मशाल जुलूस निकाला था. रैंप हटाने को लेकर पिछले कई दिनों से आदिवासी संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक लोवाडीह चौक, करमटोली चौक, पिस्का मोड़ , कांके चौक के पास आदिवासी संगठनों के लोगों ने सड़क जाम कर दिया है. कई जगहों पर सड़क पर बांस- बल्ली लगाकार रास्ता रोका गया है. हिनू- एयरपोर्ट रोड को भी बंद समर्थकों ने जाम कर रखा है. पुलिस सड़कों पर उतरे लोगों को समझाने की कोशिशों में जुटी है, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं है. मुख्य चौक चौराहों की दुकानें बंद हैं. उधर सिरमटोली चौक पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं.
शुक्रवार को ही रांची के उपायुक्त ने बंद के मद्देनजर कानून- व्यवस्था हाथ में नहीं लेने के हिदायत दी थी. सुरक्षा के लिहाज से पूरे शहर में कम से कम 1000 जवानों की तैनाती की गी है,
बंद का समर्थन करने वाले आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि प्रेमशाही मुंडा, पवन तिर्की, राहुल तिर्की, निरंजना हेरेंज, लक्ष्मी नारायण मुंडा, कुंदरसी मुंडा, फूलचंद तिर्की, बबलू मुंडा ने पहले ही कहा है कि सरकार आदिवासियों की भावना का सम्मान करते हुए सरना स्थल सिरमटोली से रैंप हटाने की कार्रवाई करे. इधर केंद्रीय सरना समिति (अजय तिर्की गुट) के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा है कि रैंप के विरोध के नाम पर राजनीति की जा रही है.
नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे संवेदनशील मामला बताया है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री को इस मामले में आदिवासी संगठनों से बातचीत कर समस्या का समाधान करना चाहिए.
हालांकि राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने इस मुद्दे पर पूर्व में आदिवासी संगठनों से बातचीत कर उनकी भावना का ख्याल रकने का भरोसा दिया था.