रांचीः रघुवर दास सरकार के पांच पूर्व मंत्रियों की आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की बेंच ने सुनवाई के बाद याचिका निष्पादित करते हुए बंद करने का आदेश दिया. इसके साथ ही खंडपीठ ने कहा कि यह जनहित का मामला प्रतीत नहीं होता है. एसीबी पहले से ही मामले की जांच कर रही है.
2020 में पंकज यादव ने यह याचिका दायर की थी. इसमें रघुवर दास सरकार के पूर्व मंत्री अमर कुमार बाउरी, रणधीर सिंह, डॉ नीरा यादव, लुइस मरांडी और नीलकंठ सिंह मुंडा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. लुइस मरांडी अभी जामा से जेएमएम की विधायक हैं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वे बीजेपी छोड़कर जेएमएम में शामिल हो गई थीं.
पंकज कुमार यादव ने आरोप लगाया था कि पांच सालों में पद पर रहते हुए तत्कालीन मंत्रियों की आय में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ोतरी हुई है. इसके प्रमाण में निर्वाचन आयोग के समक्ष संपत्ति के विवरण से संबंधित दाखिल शपथपत्र का हवाला दिया गया था.
26 जुलाई को हेमंत सोरेन कैबिनेट की बैठक में पूर्व मंत्रियों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर पीई दर्ज करने का फैसला लिया गया था. इसके कुछ ही दिनों बाद एसीबी द्वारा इस मामले में पांच अलग-अलग पीई दर्ज की गई. एसीबी ने इस मामले में पीई दर्ज कर पूर्व मंत्रियों और शिकायतकर्ता को नोटिस भी भेजा था.
झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा जनहित याचिका खरिज किए जाने के बाद रघुवर दास की एक प्रतिक्रिया सामने आई है. सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा है, “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं. हमारी बेदाग सरकार पर धब्बा लगाने का एक और प्रयास विफल हो गया है. हमने पांच साल बेदाग सरकार चलाई थी, जिसकी छवि खराब करने के लिए कई जतन किए गए.”