रांचीः झारखंड सरकार ने टीजीटी (स्नातक प्रशिक्षित टीचर) और पीजीटी (स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक) के 8900 पदों को सरेंडर (प्रत्यर्पण) करते हुए 1373 माध्यमिक आचार्यों के पद सृजन की स्वीकृति दी है.
मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस बाबत स्कूली शिक्षा विभाग के द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है. कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने मीडिया ब्रीफिंग में यह जानकारी दी है.
कैबिनेट की बैठक में कुल तेरह प्रस्तावों की स्वीकृति दी गई है. प्रस्ताव के मुताबिक 510 सरकारी प्लस टू स्कूलों में माध्यामिक आचार्य संवर्ग ( सप्तम वेतनमान स्तर 35,400-1,12,400 रुपये) के आवश्यकता आधारित 1373 माध्यमिक आचार्य पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है. जबकि टीजीटी और पीजेटी संवर्ग के लिए पे स्केल कहीं ज्यादा था.
इधर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कैबिनेट की बैठक में पारित इस प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए हैं.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा है, “जब राज्य में शिक्षक के लाखों पद पहले से ही रिक्त हैं, तब टीजीटी और पीजीटी के 8,900 पदों को एक झटके में खत्म कर देना शिक्षित बेरोज़गारों के साथ अन्याय है, साथ ही प्रदेश के शिक्षा तंत्र को भी कमजोर करने का प्रयास है.”
उन्होंने कहा है कि यह फैसला उन हज़ारों युवाओं की उम्मीदों का अंत है, जो सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. शिक्षक पदों को खत्म करने का दुष्प्रभाव विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ेगा. सरकार अविलंब इस निर्णय को वापस ले और जल्दी खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करे.
गौरतलब है कि विधानसभा के बजट सत्र में ही बीजेपी विधायक राज सिन्हा के एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया है कि राज्य में 7930 स्कूलों में एक और एक शिक्षक हैं. हालांकि इनमें अधिकतर प्राथमिक स्कूल हैं.
झारखंड में 38 हजार सरकारी स्कूलों में 70 लाख बच्चे पढ़ते हैं. शिक्षकों के पद खाली रहने से शिक्षा की गुणवत्ता पर इसका सीधा असर पड़ता है. पिछले साल ही यू डायस प्लस की जारी रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि झारखंड में 35 विद्यार्थी पर एक शिक्षक हैं. छात्र-शिक्षक अनुपात के मामले में झारखंड देश में अंतिम पायदान पर है.