रांचीः विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद आजसू पार्टी अपनी खोयी ताकत समेटने के लिए जदोदजहद कर रही है, लेकिन तमाम जद्दोजहद के बीच उसे झटके पर झटका मिलता दिख रहा है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव, तेज तर्रार वक्ता विजय कुमार साहू ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
विजय कुमार साहू पूर्व में रामगढ़ जिला का अध्यक्ष भी रहे हैं. मांडू, रामगढ़, बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की मजबूती के लिए उन्होंने लंबे समय तक संघर्ष किया और कार्यकर्ताओं, समर्थकों को समेटने का काम किया.
ओबीसी चेहरा विजय साहू आगे किस पार्टी के साथ नई पारी की शुरुआत करेंगे, इसका खुलासा फिलहाल उन्होंने नहीं किया है.
उन्होंने केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो को भेजे इस्तीफे को सोशल मीडिया के अपने फेसबुक अकाउंट पर भी साझा किया है. इसमें उन्होंने लिखा है, “24 सालों से पार्टी के लिए काम किया. जिस सोच के साथ संगठन को सींचा, वह पूरा होता नहीं दिख रहा. जनहित के मुद्दों पर भी पार्टी का स्टैंड क्लीयर नहीं रहने से दुविधा होती रही है.”
उनके इस्तीफे को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर भी जारी है. हाल ही में फेसबुक पेज पर विजय कुमार साहू का एक पोस्ट और एक वीडियो राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना था. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “क्या आपका बेटा आपका भाई आपका धरतीपुत्र गरीब किसान मजदूर का बेटा आपके संघर्ष का साथी आने वाले 2029 चुनाव में भारत के संविधान द्वारा स्थापित सदन में आपका नेतृत्व कर सकता है”?
जबकि वीडियो में वे कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि राजनीति में यूथ का इस्तेमाल करना बंद करो.
हालांकि साल 2022 में भी रामगढ़ जिलाध्यक्ष पद से हटाये जाने पर विजय साहू ने पार्टी का दामन छोड़ने का एलान किया था. लेकिन मान-मनौव्वल के बाद वे पार्टी में बने रहे. फिर उन्हें केंद्रीय कमेटी में शामिल किया गया.

इस्तीफे का सिलसिला और मिलन समारोह का मरहम
गौरतलब है कि इन दिनों आजसू पार्टी के अंदर इस बात को लेकर काफी मरमरिंग है कि नेतृत्व करने वालों ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए युवाओं का ज्यादा इस्तेमाल किया. चुनाव में सीट और टिकट भी कुछ खास लोगों के इर्द- गिर्द घूमता है.
चुनाव परिणाम ने इसके भी संकेत साफ कर दिए हैं कि आजसू के प्रभाव वाले इलाकों में अब युवाओं का समर्थन जयराम हासिल कर रहे हैं.
वैसे भी विस चुनाव के परिणाम ने पार्टी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. एक तरफ पार्टी में इस्तीफे का सिलसिला जारी है. दूसरी तरफ पार्टी दनादन मिलन समारोह में नये और नवसिखुए चेहरे को शामिल कराकर कर इन घावों को भरने की कोशिशों में जुटी है. लेकिन आजसू की राजनीतिक हकीकत समझने वाले मानते हैं कि ये मिलन समारोह कोई कारगर मरहम साबित नहीं हो सकता. पहले ये सारे नुस्खे आजमाये जा चुके हैं.
युवा नेता पवन साहू ने थामा जयराम का हाथ
रविवार को ही मांडू विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले युवा नेता पवन साहू ने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा का दामन थाम लिया है. पवन साहू के अलावा सुरेंद्र महतो समेत कई और युवा जेएलकेएम में शामिल हुए.

आजसू के झंडाबरदार रहे पवन साहू ने शनिवार को ही संकेत दे दिया था कि वे नई पारी की शुरुआत करेंगे.
मांडू विधानसभा क्षेत्र के केदला में आयोजित जेएलकेएम के कार्यक्रम में पार्टी के विधायक जयराम कुमार महतो और नेता बिहारी महतो ने पवन साहू और आजसू नेता सुरेंद्र महतो का पार्टी में स्वागत किया. पवन साहू अपने समर्थकों के साथ केदला पहुंचे थे.
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा में शामिल होने के बाद पवन साहू ने कहा है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में इसी फैसले की जरूरत थी. जयराम महतो झारखंड के जरूरी सवालों, जमीनी मुद्दों पर जिस तेवर के साथ संघर्ष कर रहे हैं, उनके कांधे को मजबूत बनाना है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आजसू ने जनता के बीच विश्वास खोया है. युवाओं के लिए वहां कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है. चुनाव नतीजे आने के सात महीने बाद ही बड़कागांव, मांडू विधानसभा क्षेत्र की जनता छली महसूस कर रही है.
केदला में विस्थापन के सवाल पर जेएलकेएम कार्यकर्ताओं, समर्थकों का रविवार को बड़ा जुटान हुआ. इससे पहले शनिवार को विस्थापन के सवाल पर ही जयराम कुमार महतो ने बड़कागांव में बड़ी सभा कर हुंकार भरी थी.
जयराम कुमार महतो की सीधी नजर गोमिया, बड़कागांव, मांडू, रामगढ़, जुगसलाई, सिल्ली, इचागढ़, चंदनकियारी, टुंडी, बेरमो, सिंदरी विधानसभा क्षेत्र पर है. इसके भी राजनीतिक मतलब निकाले जाने लगे हैं.