रांचीः पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मंगलवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन किया. नेता, कार्यकर्ता जुलूस की शक्ल में निकले और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
जनगणना में आदिवासियों के लिए सरना कोड कॉलम लागू करने की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले से मुखर रहा है. लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी दल के नेताओं ने इस मुद्दे को पुरजोर उछाला था. इसी मुद्दे पर झारखंड विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित कर पहले ही केंद्र को भेजा गया है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चेताया है कि आदिवासियों की बहुप्रतीक्षित मांग को अगर केंद्र सरकार पूरी नहीं करती है, तो जातीय जनगणना नहीं होने दिया जाएगा.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा है कि पूरे राज्य में हजारों कार्यकर्ताओं ने इस मांग के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है. पार्टी के सभी विधायक, सांसद और मंत्री, केंद्रीय पदाधिकारी भी धरना प्रदर्शन में शामिल हुए और जिले के अधिकारियों को मांग पत्र सौंपा.

विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का सवाल है, जिसे लेकर झामुमो शुरू से गंभीर रहा है.
झारखंड सरकार की ओर से सरना धर्म कोड विधेयक को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र से पारित कर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है. लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. यह स्थिति आदिवासी समुदाय के प्रति भाजपा की मानसिकता को उजागर करती है. इस बीच केंद्र सरकार ने पूरे देश में जनगणना कराने का निर्णय लिया है. पार्टी के नेता जब तक सरना धर्म कोड नहीं, तब तक जनगणना नहीं के नारे के साथ चरणबद्ध आंदोलन चलायेंगे.