रांचीः भारतीय राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले झारखंड आंदोलन के पुरोधा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन नहीं रहे. 81 साल की उम्र में उन्होंनें अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से झारखंड में शोक की लहर है.
सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय निगरानी विभाग ने तीन दिनों के राजकीय शोक का पत्र जारी किया है.
सोमवार की सुबह झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन से सबसे पहले अपने सोशल मीडिया के अकाउंट एक्स पर यह जानकारी दी.
हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं. आज मैं शून्य हो गया हूँ.”
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिशोम गुरु के निधन पर दुःख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. साथ ही इस दुःख की घड़ी में सीएम हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर ढांढस बंधाया.
देश के कई शीर्ष नेताओं ने भी शिबू सोरेन के निधन पर शोक प्रकट किया है.
गंगाराम अस्पताल में थे भर्ती
शिबू सोरेन का इलाज दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में चल रहा था. पिछले 19 जून को उन्हें भर्ती कराया गया था. उनके स्वास्थ्य को लेकर लगातार उतार- चढ़ाव की खबरें आती रही. हेमंत सोरेन खुद लगातार उनकी देखरेख में लगे थे.
शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्य़मंत्री रहे हैं. दुमका संसदीय क्षेत्र से उन्होंने आठ बार चुनाव जीता. अभी वे राज्य सभा के सदस्य थे.संथालपरगना में आदिवासियों के बीच शिबू सोरेन ने अटूट लोकप्रियता हासिल की.
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था.
उनके पिता सोबरन सोरेन शिक्षक थे. महाजनों के द्वारा उनकी हत्या के बाद शिबू सोरेन पढ़ाई छोड़कर गांव आ गये. उन्होंने आदिवासी समाज को एकजुट करना शुरू किया. महाजनी प्रथा और नशा के खिलाफ भी उन्होंने लंबा आंदोलन किया.
1973 में उन्होंने जेएमएम का गठन किया. झारखंड अलग राज्य की लड़ाई के भी वे पुरोधा बनकर उभरे. राजनीति में भी उन्होंने तमाम उतार-चढ़ाव का सामना किया और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सर्वमान्य नेता के तौर पर हमेशा स्वीकार्य रहे.