जमशेदपुरः पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता चंपाई सोरेन शनिवार को आदिवासी दिवस के मौके पर पूरे रौ में दिखे. पुरानी ऊर्जा और तेवर समेटे हुए. गम्हरिया स्थित रामचंद्रपुर फुटबॉल मैदान में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते चंपाई सोरेन ने आदिवासी अस्मिता, जमीन की रक्षा की बात की.
इसी दौरान उन्होंने कहा कि रांची के नगड़ी मौजा में रिम्स-2 के लिए किसानों, रैयतों की जमीन नहीं लेने देंगे. 24 अगस्त को वे वहां रैयतों के साथ हल चलाएंगे. सरकार में हिम्मत है तो रोक कर दिखाये.
उन्होंने कहा ब्रिटिश हुकूमत से अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में हमारे जैसे सैकड़ों लोगों ने कुर्बानियां दी. दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी. महाजन तो नहीं रहे, लेकिन उनकी जगह बिल्डरों ने ले ली.
उन्होंने कहा कि अगर नये रिम्स की आवश्यकता है तो किसी और जगह उसे बनाया जाए. आदिवासियों से उनकी खेतीहर जमीन नहीं छीनी जाए.
गौरतलब है कि सरकार ने नगड़ी मौजा में राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के विस्तार के लिए करीब ढाई सौ एकड़ अधिग्रहित करने की रूपरेखा तय की है. वहां के रैयत और विभिन्न आदिवासी संगठन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.
किसी आंदोलन को नहीं बेचा
पूर्व सीएम ने कहा, “मैंने कभी किसी आंदोलन को नहीं बेचा. उस पार्टी को छोड़ दी, जिससे खून और पसीने से सींचा था. चंपाई सोरेन एक आंदोलन की उपज है. गरीब, आदिवासी-मूलवासी को उनका हक और अधिकार दिलाया.”
सोरेन ने यह भी कहा कि 22 अगस्त को वे संथाल परगना में सिदो- कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह जाएंगे. हूल दिवस के दिन सिदो- कान्हू के वंशजों पर लाठी चलाकर सरकार ने कायरता का परिचय दिया है.
उन्होंने कहा कि संथाल परगना की डेमोग्राफी लगातार बदल रही है. वहां घुसपैठियों का प्रभाव बढ़ा है. बड़े पैमाने पर धर्मातंरण का खेल चल रहा है. आदिवासियों की अस्मिता की रक्षा के लिए इसे रोकना ही होगा. चंपाई सोरेन ने झारखंड सरकार के द्वारा राज्य में संचालित अटल क्लीनिक का नाम बदलकर मदर टेरेसा क्लीनिक करने की मंशा का भी विरोध किया.