रांचीः एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने झारखंड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, तत्कालीन उत्पाद सचिव सह निदेशक, झारखंड वीबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड, विनय कुमार चौबे को गिरफ्तार किया है. विनय कुमार चौबे के अलावा उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है. दोनों अधिकारियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
विनय चौबे अभी पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव पद पर कार्यरत थे.
झारखंड में राज्य सरकार की एजेंसी एसीबी की यह पहली कार्रवाई है, जब उसने किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया है. इससे पहले सोमवार की सुबह लगभग 11 बजे एसीबी की टीम ने विनय चौबे को आवास से लेकर पूछताछ के लिए रांची स्थित कार्यालय आई. लंबी पूछताछ के बाद शाम में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद गजेंद्र सिंह से पूछताछ की गई.
एसीबी ने इस कार्रवाई के बारे में जारी एक रिलीज में बताया है कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग, झारखण्ड रांची से अनुमोदन प्राप्त उपरांत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रांची कांड सं0-09/25, दिनांक-20.05.25 को दर्ज किया गया था.
यह मुकदमा धारा-120बी आईपीसी r/w सेक्शन-420/467/468/471/409/407/109 of IPC (Corresponding Section of BNS Sec 61(2) r/w Section 318/336/340/316/45 & 49) and Section 7 (c)/12, Section-13(2) r/w 13(1)(a) of PC Act 1988 (Amended in 2018) के तहत दर्ज था.
एसीबी के मुताबिकअपने पद का दुरूपयोग करते हुए प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन कर विहित प्रक्रिया एवं प्रावधान का समुचित अनुपालन, क्रियान्वयन नहीं करते / कराते हुए अधिकारियों ने आपराधिक मिलीभगत से कुटरचना (खुटचाल) कर सरकार के साथ जालसाजी और धोखाधड़ी कर सामूहिक अपराध एवं अनैतिक लाभ पहुँचाया, परिणाम स्वरूप झारखंड सरकार को लगभग 38 करोड का नुकसान होने संबंधित प्रर्याप्त साक्ष्य मिले हैं. इसी आधार पर यह कांड दर्ज किया किया गया था.
विनय चौबे पूर्व में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव भी रह चुके हैं. इनके अलावा नगर विकास विभाग के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विभागों के सचिव रह चुके हैं. उन्होंने रांची के उपायुक्त पद की भी जिम्मेदारी संभाली है.
यह मामला झारखंड में 31 मार्च 2022 से नयी उत्पाद नीति से संबंधित है. इस साल झारखंड में नयी उत्पाद नीति लागू हुई थी. इस नीति पर सवाल उठ रहे थे और राजनीतिक तथा प्रशासनिक गलियारे में इसकी चर्चा होती रही कि छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले से झारखंड के भी तार जुड़े हैं.
सवाल ये भी उठते रहे कि प्लेसमेंट एजेंसियों और शराब सिंडिकेट को कथित लाभ पहुंचाने के लिए नकली होलोग्राम का भी खेल हुआ है. हालांकि एसीबी ने जारी बयान में इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने ईसीआर दर्ज कर की कर रही है. इसी सिलसिले में ईडी ने साल 2023 में विनय चौबे को पूछताछ के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया था.
पिछले तीन सालों में चौबे झारखंड में तीसरे आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें अलग- अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया है.
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने मनी लाउंड्रिंग और मनरेगा घोटाले में पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया था. तब पूजा सिंघल के सीए के घर से लगभग 17 करोड़ रुपये बरामद हुए थे. अब पूजा सिंघल जमानत पर जेल से बाहर हैं. इसके बाद 4 मई 2023 को जमीन घोटाले में ईडी ने रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन को गिरफ्तार किया था. छवि रंजन अब भी जेल में बंद हैं.
बाबूलाल मरांडी ने क्या कहा
इस बीच झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर एक पोस्ट किया है.
उन्होंने कहा है, “मैंने अप्रैल 2022 में ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर झारखंड और छत्तीसगढ़ में होने वाले शराब घोटाले के संदर्भ में आगाह किया था. सरकार ने मेरे पत्र और चेतावनियों को न सिर्फ नजरअंदाज किया बल्कि छत्तीसगढ़ के शराब माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए झारखंड में हज़ारों करोड़ रुपए के शराब घोटाले को अंजाम देने में सहयोग भी किया.”
अब जब छत्तीसगढ़ में कार्रवाई हो रही है और मामला ईडी और सीबीआई तक पहुँच गया है, तब झारखंड में ACB द्वारा की जा रही जांच पर भला कैसे भरोसा किया जा सकता है?
ऐसा प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ में चल रही सीबीआई जांच से डरकर अब बड़ी मछलियों को बचाने के लिए कुछ छोटे लोगों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. यदि हेमंत जी वास्तव में घोटाले की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं और उनमें हिम्मत है, तो वे इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दें.