राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के निदेशक डॉ राजकुमार को पद से हटाने के राज्य सरकार के आदेश पर झारखंड हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है.
हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने 17 अगस्त को जारी उस आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स के निदेशक को पद से हटाने का आदेश दिया था. इस मामले की अगली सुनवाई छह मई को होगी. कोर्ट ने शपथ पत्र के माध्यम से सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
पद से हटाये जाने के बाद डॉ राजकुमार ने हाइकोर्ट का रुख किया था. डॉ राजकुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए यह आदेश नैसर्गिक न्याय और रिम्स की नियमावली के खिलाफ है.
डॉ राजकुमार ने याचिका में कहा है कि रिम्स में निदेशक की नियुक्ति तीन साल के लिए की जाती है. उन्होंने कोई नियम विरूद्ध काम नहीं किया. उन्हें पद से हटाने के लिए गलत आरोप लगाए गए हैं.
डॉ राजकुमार को पद से हटाये जाने के बाद डीन पद पर कार्यरत डॉक्टर शशि बाला सिंह को रिम्स का अंतरिम प्रभारी निदेशक बनाया गया है.
गौरतलब है कि 17 अप्रैल को रिम्स शासी परिषद के अध्यक्ष सह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के हस्ताक्षर से निदेशक को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश जारी किया गया था.
आदेश में कहा गया है कि डॉ राजकुमार ने मंत्रिपरिषद, शासीपरिषद और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनहित में दिये गये निर्देशों का पालन नहीं किया है. रिम्स अधिनियम -2022 के तहत निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति में भी उनकी सेवा संतोषजनक नहीं पाई गई है.
डॉ राजकुमार को 31 जनवरी 2024 को रिम्स के निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले वे संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ में न्यूरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर के पद पर थे.
हालांकि रिम्स निदेशक को हटाये जाने के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारे में इसकी भी चर्चा सुर्खियों में रही थी कि शासी परिषद की 59वीं बैठक के दौरान कुछ निर्देश को लेकर विवाद हो गया था. निदेशक के जवाब से मंत्री और सचिव संतुष्ट नहीं थे.
वैसे रिम्स निदेशक के पद पर रहते हुए डॉ राजकुमार ने अस्पताल की हालत सुधारने में कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाये. वे खुद भी न्यूरो के ओपीडी में बैठकर मरीजों की जांच करते थे. कई मौके पर वे प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर डॉक्टरों के खिलाफ सख्त रुख दिखा चुका थे. ओपीडी सेवा, मरीजों की देखभाल, नर्सिंग व्यवस्था को लेकर उन्हें नियमित तौर पर और औचक विजिट पर भी निकलते देखा गया.