झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13 वें महाधिवेशन में सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है. साथ ही दिशोम गुरु शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक बनाया गया है. पार्टी के सर्वमान्य नेता शिबू सोरेन ने हेमंत सोरेन को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसे महाधिवेशन में मौजूद चार हजार प्रतनिधियों ने हर्ष के साथ समर्थन किया.
इससे पहले पार्टी के सांसद नलिन सोरेन ने गुरुजी को संस्थापक संरक्षक बनाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसका समर्थन सीनियर लीडर स्टीफन मरांडी ने किया. शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक बनाये जाने पर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा. शिबू- हेमंत के समर्थन में नेताओं, कार्यकर्ताओं ने नारे लगाये.
1987 से केंद्रीय अध्यक्ष का पद संभाल रहे थे शिबू
हेमंत सोरेन अभी दल में कार्यकारी अध्यक्ष की हैसियत में थे, जबकि 1987 से शिबू सोरेन सर्वमान्य नेता के तौर पर केंद्रीय अध्यक्ष की भूमिका में थे.
80 साल के शिबू सोरेन स्वास्थ्य और उम्र के कारणों से अब राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय नहीं हैं. वे चुनाव भी नहीं लड़ते. हालांकि अभी वे राज्य सभा के सदस्य हैं. अब पार्टी उन्हें संस्थापक संरक्षक की भूमिका में ला रही है.
दो दिवसीय महाधिवेशन में शिबू सोरेन व्हील चेयर से पहुंचे थे. तब उन्हें देख पार्टी के नेता, कार्यकर्ता भावुक हो गए. सभी कार्यकर्ता खड़े हो गए. और तालियां बजाकर गुरुजी का स्वागत किया. शिबू ने महाधिवेशन में मौजूद सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं को हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया.
शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री भी रहे और दुमका से आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा है. संथालपरगना में अभी भी गुरुजी की एक झलक पाने के लिए कार्यकर्ता और आदिवासी समुदाय के लोग बेताब रहते हैं. झारखंड आंदोलन के भी वे मजबूत चेहरा हैं. इनके अलावा महाजनी प्रथा और नशा के खिलाफ उनका आंदोलन सुर्खियों में रहा है. शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष और उतार- चढ़ाव के साथ उपलब्धियों से भरा रहा है.
खेलगांव स्टेडियम में आयोजित जेएमएम के महाधिवेशन में पहले दिन सोमवार को हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाबत संविधान में संशोधन कर पेश किया गया था. इस पर मंगलवार को चर्चा के साथ मुहर लगायी गई. पार्टी ने इस बार संविधान में संशोधन कर संस्थापक संरक्षक का नया पद बनाया है. पार्टी के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने महाधिवेशन के पहले दिन संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था.

2015 में कार्यकारी अध्यक्ष बने थे हेमंत
गौरतलब है 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ था. 1987 में शिबू सोरेन ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी. 1973 से 1984 तक झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पढ़ो और लड़ो का नारा देने वाले बिनोद बिहारी महतो पार्टी के अध्यक्ष रहे. इसके बाद यह जिम्मेदारी शहीद निर्मल महतो को दी गई थी.
2015 में जमशेदपुर में जेएमएम के महाधिवेशन में हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी. इसके बाद हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति और खासकर आदिवासियों के बीच एक प्रभावी नेता के तौर पर उभरे हैं.
हेमंत सोरेन 2019 में भाजपा को शिकस् देकर सत्ता पर काबिज हुए. 2024 के चुनाव में फिर उन्होंने बीजेपी को शिकस्त दी. झारखंड मुक्ति मोर्चा विधानसभा की 34 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ा दल बना है. हेमंत सोरेन की छवि एक बड़े आदिवासी चेहरा के तौर पर भारतीय राजनीति में उभरी है. इससे पहले 2007 में झारखंड छात्र मोर्चा से हेमंत ने राजनीति की शुरुआत की थी. इसके बाद कभी उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा.