रामगढ़ः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, महाजनी प्रथा के खिलाफ और अलग राज्य के वास्ते आंदोलन के नायक दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन के श्राद्ध कार्यक्रम का तीसरा दिन है. गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन और उनके परिवार, कुटुंब के सदस्यों ने “तीन कर्म” की परंपरा का निर्वहन किया.
हेमंत सोरेन अपने पिता के श्राद्ध कार्यक्रम के सभी पारपंरिक विधान को पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं. उन्होंने ही मुखाग्नि दी है. अभी वे श्राद्ध कार्यक्रम के13 दिनों तक अपने पैतृक गांव नेमरा में ही रूकेंगे. दिशोम गुरुजी को याद कर कई मौके पर वे बेहद भावुक हो जाते हैं.
बुधवार की रात सभी पारंपरिक विधान को लेकर उन्होंने परिवार के सदस्यों तथा गांव वालों के साथ बैठकर चर्चा की. हेमंत सोरेन सभी का ख्याल भी रखते हैं. बड़े- बुजुर्गों से रायशुमारी करते हैं.
बुधवार को ही हेमंत सोरेन खुद अपनी गाड़ी चलाकर गांव का जायजा लेने निकले थे. दशकर्म, और बारहवीं को लेकर तैयारियों की भी उन्होंने जानकारी ली. अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए.
चार अगस्त को शिबू सोरेन का निधन हुआ था. उनके निधन पर राज्य में तीन दिनों का राजकीय शोक है. गुरुजी को नमन करने और श्रद्धांजलि देने का सिलसिला जारी है. उनके संघर्ष, आंदोलन और आदिवासी चेतना जगाने के योगदान को याद किया जा रहा है. नेमरा गांव भी तीन दिनों से शोक में डूबा है.

हेमंत सोरेन की माता रूपी सोरेन, पत्नी और गांडेय से विधायक कल्पना सोरेन, छोटे भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन, भाभी (शिबू सोरेन की बड़ी बहू) सीता सोरेन के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी नेमरा में ही हैं. गुरुवार को तीन कर्म की परंपरा में सभी सदस्य मौजूद रहे.
गुरुवार की सुबह हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया के अपने अकाउंट एक्स पर अपनी एक तस्वीर के साथ नेमरा की धरती को नमन किया.
उन्होंने कहा, “नेमरा की यह क्रांतिकारी और वीर भूमि, दादाजी की शहादत और बाबा के अथाह संघर्ष कE गवाह है. यहां के जंगलों, नालों-नदियों और पहाड़ों ने क्रांति की उस हर गूंज को सुना है और हर कदम व हर बलिदान को संजोकर रखा है. नेमरा की इस क्रांतिकारी भूमि को शत-शत नमन करता हूं. वीर शहीद सोना सोबरन मांझी अमर रहें और झारखंड राज्य निर्माता वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें.”