जामताड़ाः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास ने कहा है कि वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति में संलिप्त हेमंत सोरेन की सरकार राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासियों का हक मार रही है. जामताड़ा जिले के करमाटांड़ प्रखण्ड स्थित मोहनपुर में सिदो कान्हू संथाल आदिवासी ओवार राकाप संगठन द्वारा आयोजित जनचौपाल में शामिल रघुवर दास ने आदिवासियों से सीधी बातें की.
रघुवर दास ने कहा, “मैं राज्यपाल का पद छोड़कर आप लोगों के बीच में जागरूकता और राजनीतिक चेतना फैलाने आया हूं. आप में बहुत शक्ति है, बस उसे पहचानने की आवश्यकता है. आपका हक दिलाने के लिए रघुवर का दास आपके मजबूती के साथ खड़ा रहेगा.”
उन्होंने कहा, “पेसा कानून लागू नहीं कर आदिवासियों का हक छीनने वाली हेमंत सोरेन की सरकार की हकीकत जनमानस के खिलाफ है. गरीब आदिवासी समाज को जगने की जरूरत है, तभी उनका हक छीनने की कोई हिम्मत नहीं करेगा. हमें बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं करना है. शिक्षित बनकर ही समृद्ध समाज का निर्माण किया जा सकता है.”
पेसा कानून लागू करने के लिए विधि विभाग से सहमति भी दे दी गई है. हाई कोर्ट ने भी आदेश दिया है. इसके बावजूद राज्य सरकार किसके भय और दबाव में कानून लागू नहीं करना चाहती है. जबकि पेसा कानून लागू नहीं होने से झारखंड के 13 जिले, जहां आदिवासी रूढ़िवादी व्यवस्था है, उसके लिए केंद्र सरकार से 1400 करोड़ रुपया नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ के सवाल पर पर भी आदिवासी समाज को सावधान रहने और अस्तित्व को बचाने के लिए आगे आने पर जोर दिया. उन्होंने कहा संथाल का डेमोग्राफी चेंज हो रहा है. साथ ही विधि-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है.
रघुवर दास ने कहा कि आदिवासी समाज हमेशा अन्याय और शोषण के खिलाफ खड़ा हुआ है. अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले हूल विद्रोह भी आदिवासी समाज ने ही किया था. एक बार फिर हमारे युवा और नारी शक्ति को अन्याय और शोषण के खिलाफ हुल-उलगुलान करना होगा. झारखंड में हेमंत सरकार विदेशी धर्म के दबाव में आदिवासियों का हक मारकर तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति में लिप्त है.
जनचौपाल में पूर्व मंत्री श्री रणधीर सिंह समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे. इससे पहले आदिवासी संस्कृति और परंपरा के साथ रघुवर दास का स्वागत किया गया. जनचौपाल में रघुवर दास ने आदिवासियों के साथ संवाद किया. उनकी बातें भी सुनी. और 2019 से 2024 तक अपनी सरकार के कामकाज तथा हेमंत सोरेन सरकार के कामकाज का अंतर भी बताया.