रांचीः झारखंड में पेसा कानून लागू करने को लेकर छिड़ी बहस के बीच बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा है. इसके साथ ही उन्होंने पूछा है कि क्या पेसा कानून लागू होने से हेमंत सरकार को खतरा है? क्या इस डर से पेसा लागू नहीं किया जा रहा है कि सरकार गिर जाएगी?
बुधवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से बातचीत में रघुवर दास ने कहा, “जब सारी वैधानिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो फिर आखिर कौन सी शक्ति है जो इसे लागू होने से रोक रही है? एक सरना समाज के मुख्यमंत्री होने के बावजूद राज्य का जनजाति समाज अपनी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था से वंचित है तो इसलिए कि सरकार विदेशी धर्म मानने वालों के दबाव में है.”
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने जुलाई 2023 में पेसा नियमावली प्रारूप को प्रकाशित कर पंचायती राज विभाग द्वारा आम लोगों एवं संस्थाओं से प्रतिक्रिया मांगी थी. इसके बाद मंतव्य के साथ नियमावली प्रारूप विधि विभाग को भेजी गई थी. महाधिवक्ता ने 22 मार्च 2024 को नियमावली प्रारूप पर अपनी सहमति दी और कहा कि नियमावली को सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के न्यायिक आदेशों के अनुरूप बनाया गया है. इस संबंध में क्षेत्रीय सम्मेलन में भी गहन विमर्श हुआ जिसमें भारत सरकार के साथ साथ झारखंड ,उड़ीसा,छत्तीसगढ़,तेलंगाना , आंध्र प्रदेश के प्रतिनिधि शामिल हुए और सभी ने पेसा प्रारूप नियमावली पर सहमति दी. इसके बाद भी पेसा का लागू नहीं करना जनजातीय समाज के साथ धोखा है.
उन्होंने कहा कि राज्य और सरकार में ऐसी ताकतें प्रभावी हैं, जो आदिवासी समाज की पारंपरिक रूढ़िवादी व्यवस्था आगे बढ़े. आदिवासी धर्म छोड़कर दूसरे धर्म मानने वालों का इस व्यवस्था में प्रवेश चाहते है, जो इस नियमावली की मूल भावना के खिलाफ है. पेसा नियमावली में निर्वाचित व्यवस्था का प्रावधान नहीं है बल्कि इसके तहत पारंपरिक रूढ़िवादी स्वशासन व्यवस्था लागू होगी.