रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा के 13 वें महाधिवेशन में संगठन में परिवर्तन के साथ दल के संविधान में संशोधन को लेकर अहम फैसला लिया जा रहा है. अब हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष होंगे. जबकि शिबू सोरेन संस्थापक संरक्षक की भूमिका में रहेंगे. अभी हेमंत सोरेन कार्यकारी अध्यक्ष की हैसियत संभाल रहे हैं.
रांची स्थित खेलगांव स्टेडियम में आयोजित जेएमएम के महाधिवेशन में सोमवार को संविधान संशोधन पेश कर दिया गया है. इस पर मंगलवार को चर्चा के साथ मुहर लगायी जाएगी. पार्टी ने संविधान में संशोधन कर संस्थापक संरक्षक क नया पद बनाया है. पार्टी के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने महाधिवेशन के पहले दिन संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया.
स्वास्थ्य और उम्र के कारणों से जेएमएम प्रमुख, दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय नहीं हैं. वे चुनाव भी नहीं लड़ते. हालांकि अभी वे राज्य सभा के सदस्य हैं. अब पार्टी उन्हें संस्थापक संरक्षक की भूमिका में ला रही है. सोमवार को महाधिवेशन में शिबू सोरेन व्हील चेयर से पहुंचे थे. तब उन्हें देख पार्टी के नेता, कार्यकर्ता भावुक हो गए. सभी कार्यकर्ता खड़े हो गए. और तालियां बजाकर गुरुजी का स्वागत किया.
गौरतलब है 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ था. 1987 में शिबू सोरेन ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी. 1973 से 1984 तक झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पढ़ो और लड़ो का नारा देने वाले बिनोद बिहारी महतो पार्टी के अध्यक्ष रहे. इसके बाद यह जिम्मेदारी शहीद निर्मल महतो को दी गई थी.
2015 में कार्यकारी अध्यक्ष बने थे हेमंत
2015 में जमशेदपुर में जेएमएम के महाधिवेशन में हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी. इसके बाद हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति और खासकर आदिवासियों के बीच एक प्रभावी नेता के तौर पर उभरे हैं. हेमंत सोरेन 2019 में सत्ता पर काबिज हुए। 2024 के चुनाव में फिर उन्होंने बीजेपी को शिकस्त दी. झारखंड मुक्ति मोर्चा विधानसभा की 34 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ा दल बना है.