झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण और जल संसाधन मंत्री हफीजुल हसन के एक बयान पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है. मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हफीजुल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है. इधर, पूरे विवाद पर हफीजुल हसन ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. दरअसल, रविवार को रांची में एक निजी चैनल से बात करते हुए मंत्री ने कहा था शरीअत मेरे लिए बड़ा है. हम कुरान सीने में रखते हैं और संविधान हाथ में.
वक्फ संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध पर मंत्री ने कहा था कि ‘मुस्लिम जिंदा कौम है, वे विरोध तो करेंगे, लेकिन शांतिपूर्ण. मुसलमान कुरान सीने में रखता है और संविधान हाथ में लेकर चलता है. हम पहले शरीअत को पकड़ेंगे इसके बाद संविधान. हम संविदान भी मानते हैं. बाबा साहब ने भी सभी धार्मिक ग्रंथों को पढ़ कर ही संविधान तैयार किया होगा.
आगे उन्होंने कहा कि भाजपा की सोच देश को बर्बाद करने की है। केंद्र भी चाहता है कि मुसलमान पढ़ाई-लिखाई और काम-धंधा छोड़ सड़क पर उतरें.
इस बीच सोमवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हफीजुल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार से बर्खास्त करने की मांग की है. गिरिडीह में मीडिया से बात करे हुए बाबूलाल ने कहा मंत्री हफीजुल हसन भारतीय संविधान से ऊफर शरीअत को मानते हैं. मंत्री की जुबान से इंडिया ब्लॉक का व्स्तविक चरित्र प्रकट हुआ है. उनका बयान राष्ट्र और संविधान विरोधी है. कांग्रेस और जेएमएम को बताना चाहिए कि मंत्री के इस बयान से कितना सहमत हैं.
हालांकि सोमवार को जब यह मामला सियासत में तूल पकड़ने लगा, तो मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. हमने अपने बयान में कहा था कि – हम शरीअत से चलते हैं जैसे कई लोग कहते हैं कि सीने में हनुमान रखते हैं. इसे लेकर विवाद ठीक नहीं है.
क्या समर्थन वापस लेंगे राहुल गांधीः रघुवर दास
मंत्री के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि राहुल गांधी हर मंच से लाल किताब दिखाकर संविधान बचाने की बात कहते हैं. उनकी पार्टी के समर्थन से झारखंड में चल रही सरकार के मंत्री संविधान से पहले शरीयत को बता रहे हैं. क्या कांग्रेस नेता संविधान बचाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार से समर्थन वापस लेने की हिम्मत दिखाएंगे? झारखंड सरकार में मंत्री एक और संविधान की शपथ लेकर मंत्री पद लेते हैं, दूसरी ओर शरीअत को संविधान से बड़ा भी बताते हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक है.